क्या आपने कभी ऑफिस में काम करते वक्त करंट लगने का अनुभव किया है? यह समस्या कई लोगों को होती है और यह झटका बिल्कुल वैसा ही लगता है जैसे बिजली का शॉक लगने पर होता है। हालांकि, यह शॉक खतरनाक नहीं होता है, लेकिन यह आपको थोड़ी घबराहट में डाल सकता है। आपको इस पर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है, लेकिन फिर भी यह जानना ज़रूरी है कि ऐसा क्यों होता है।
करंट क्यों लगता है?
क्या आपने कभी सोचा है कि यह करंट क्यों लगता है? एटम में तीन मुख्य पार्ट्स होते हैं: इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, और न्यूट्रॉन। ये तीनों हमारे शरीर में भी होते हैं और करंट लगने की स्थिति में इनकी अहम भूमिका होती है।
एटम के अंदर क्या होता है?
एटम में इलेक्ट्रॉन (जो नेगेटिव चार्ज वाले होते हैं) और प्रोटॉन (जो पॉजिटिव चार्ज वाले होते हैं) होते हैं। साथ ही, न्यूट्रॉन होते हैं जिनका कोई चार्ज नहीं होता। सामान्य स्थिति में, शरीर में इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन की संख्या संतुलित रहती है। लेकिन कभी-कभी शरीर में इलेक्ट्रॉन की संख्या बढ़ जाती है, जिससे शरीर नेगेटिव चार्ज हो जाता है। जब यह शरीर किसी पॉजिटिव चार्ज वाली चीज को छूता है, तो करंट लगता है। यह एक बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इसका अनुभव काफी चौंकाने वाला होता है
करंट किस तरह लगता है?
पॉजिटिव चार्ज और नेगेटिव चार्ज का संपर्क: अगर आपके शरीर में पॉजिटिव चार्ज है और आप किसी नेगेटिव चार्ज वाली सतह को छूते हैं, तो करंट लग सकता है। अगर कोई दूसरा व्यक्ति भी आपको छूता है और उसके शरीर में नेगेटिव चार्ज है, तो दोनों को करंट लग सकता है।
नेगेटिव चार्ज और पॉजिटिव चार्ज का संपर्क: अगर आपका शरीर नेगेटिव चार्ज से प्रभावित हो गया है, तो आप किसी पॉजिटिव चार्ज वाली चीज को छूने पर करंट महसूस कर सकते हैं।
सर्दियों में करंट लगने की समस्या ज्यादा क्यों होती है?
यह समस्या मौसम के बदलाव पर भी निर्भर करती है। सर्दियों में यह समस्या ज्यादा होती है, क्योंकि इस मौसम में शरीर में इलेक्ट्रॉन की संख्या बढ़ जाती है, जिससे नेगेटिव चार्ज बनता है। गर्मियों में हवा में नमी ज्यादा होती है, जो इन इलेक्ट्रॉनों को नष्ट कर देती है और इस वजह से करंट कम महसूस होता है।