शारदीय नवरात्रि के पहले दिन राजस्थान के प्रमुख देवी मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़। त्रिपुरा सुंदरी, कालिका माता, शिला देवी और नौसर माता मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन। जानें इस पवित्र पर्व की पूरी जानकारी।
जयपुर: शारदीय नवरात्रि के शुभारंभ पर गुरुवार को राजस्थान के विभिन्न देवी मंदिरों और शक्तिपीठों में भक्तों का तांता लगा रहा। भक्तों ने पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ देवी माँ की पूजा अर्चना की और व्रत रखकर अपने आराध्य देवी-देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त किया।
राज्य के प्रमुख देवी मंदिरों जैसे बांसवाड़ा का त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, चित्तौड़गढ़ किले का कालिका माता मंदिर, जयपुर के आमेर किले का शिला देवी मंदिर और पुष्कर (अजमेर) का नौसर माता मंदिर पूरे दिन भक्तों से खचाखच भरे रहे।
नवरात्रि का महत्त्व
नवरात्रि का पर्व भारतीय संस्कृति में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। यह पर्व नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का प्रतीक है। शारदीय नवरात्रि विशेष रूप से शक्ति की देवी दुर्गा को समर्पित है और इसे अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। भक्तगण इन दिनों उपवास रखते हैं, देवी माँ की विशेष पूजा करते हैं और माँ दुर्गा से शक्ति, समृद्धि और सुख-शांति की कामना करते हैं।
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, बांसवाड़ा
बांसवाड़ा में स्थित प्रसिद्ध त्रिपुरा सुंदरी मंदिर में भी नवरात्रि के पहले दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। त्रिपुरा सुंदरी माता मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष कांति लाल पंचाल ने बताया कि नवरात्रि के अवसर पर पूरे मंदिर परिसर को रंगीन रोशनी से सजाया गया है, जो रात में बेहद आकर्षक दिख रहा है।
भक्तों के लिए विशेष पूजा-अर्चना और हवन का आयोजन किया गया, जिसमें दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। मंदिर में नवरात्रि के दिनों में विशेष तौर पर सजावट की जाती है और माता के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में भक्त यहाँ आते हैं।
कालिका माता मंदिर, चित्तौड़गढ़ किला
चित्तौड़गढ़ के किले में स्थित कालिका माता मंदिर भी नवरात्रि के दौरान विशेष आकर्षण का केंद्र रहता है। यहाँ माँ कालिका की विशेष पूजा की जाती है और भक्तगण देवी से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लंबी कतारों में खड़े रहते हैं।
नवरात्रि के अवसर पर मंदिर में विशेष रूप से सजावट की जाती है, और पूरे दिन मंदिर परिसर भक्तों से भरा रहता है। मंदिर में भव्य आरती का आयोजन किया गया, जिसमें भक्तों ने पूरे जोश और भक्ति भाव से हिस्सा लिया।
शिला देवी मंदिर, आमेर किला, जयपुर
जयपुर के प्रसिद्ध आमेर किले में स्थित शिला देवी मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। शिला देवी की पूजा नवरात्रि के समय विशेष रूप से की जाती है, और यहाँ के भक्तगण इस अवसर को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।
मंदिर में सुबह से लेकर शाम तक विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया, जिसमें हज़ारों की संख्या में भक्त शामिल हुए। शिला देवी मंदिर की विशेषता यह है कि यहाँ की पूजा राजस्थान के इतिहास और संस्कृति से गहराई से जुड़ी हुई है।
नौसर माता मंदिर, पुष्कर (अजमेर)
पुष्कर के पास स्थित नौसर माता मंदिर भी नवरात्रि के समय विशेष आकर्षण का केंद्र बनता है। यहाँ माँ नौसर की पूजा और दर्शन के लिए भक्त बड़ी संख्या में एकत्रित होते हैं। नवरात्रि के पहले दिन यहाँ भी भक्तों की भारी भीड़ देखी गई।
मंदिर के पुजारियों ने बताया कि नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन होता है और इस दौरान दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर परिसर को विशेष सजावट और रोशनी से सजाया गया है, जो भक्तों के आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा।
नवरात्रि की विशेषता
नवरात्रि केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा भी है। इस पर्व के दौरान लोग अपने घरों और मंदिरों में माँ दुर्गा की पूजा करते हैं और देवी के नौ रूपों को समर्पित दिन मनाते हैं। हर दिन देवी के एक अलग रूप की पूजा की जाती है, जैसे कि शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री।
नवरात्रि के अवसर पर भक्त उपवास रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और माँ दुर्गा की स्तुति करते हैं। इस दौरान गरबा और डांडिया का आयोजन भी होता है, जो विशेष रूप से गुजरात और राजस्थान में काफी प्रचलित है।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्था
नवरात्रि के दौरान मंदिरों में भक्तों की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। मंदिरों में पुलिस बल की तैनाती की गई और कोविड-19 नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रबंध किए गए। मंदिर प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विभिन्न उपाय किए।
मंदिरों में मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए विशेष निर्देश दिए गए थे। इसके साथ ही, मंदिरों के प्रवेश द्वार पर सैनिटाइज़र की व्यवस्था भी की गई थी।
नवरात्रि का सांस्कृतिक महत्व
नवरात्रि केवल धार्मिक आस्था का पर्व नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का भी अभिन्न हिस्सा है। इस पर्व के दौरान लोग अपने पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे नजर आते हैं और भक्ति संगीत और नृत्य में भाग लेते हैं। विशेष रूप से गुजरात और राजस्थान में गरबा और डांडिया की धूम रहती है।
यह पर्व लोगों के बीच एकता, प्रेम और सद्भावना को बढ़ावा देता है। नवरात्रि के नौ दिनों में लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ समय बिताते हैं और देवी माँ की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
शारदीय नवरात्रि का पर्व देवी माँ की पूजा और आराधना का महापर्व है। राजस्थान के विभिन्न देवी मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ इस पर्व के महत्व और उत्साह को दर्शाती है। त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, कालिका माता मंदिर, शिला देवी मंदिर और नौसर माता मंदिर जैसे प्रसिद्ध मंदिरों में नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा और आराधना का आयोजन किया जाता है, जो भक्तों के लिए एक अद्भुत अनुभव होता है।
इस नवरात्रि के दौरान भी भक्तों ने बड़ी संख्या में मंदिरों में पहुँचकर माँ दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त किया और अपनी श्रद्धा प्रकट की। नवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक भी है, जो हर साल लाखों लोगों को एकजुट करता है।