दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाता है. इस दौरान घर के बाहर गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाकर उसकी पूजा की जाती है. गोवर्धन पूजन में गायों की पूजा का भी विशेष महत्व है.
क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रज में पूजन कार्यक्रम चल रहा था. सभी ब्रजवासी पूजन कार्यक्रम की तैयारियों में जुटे हुए थे. भगवान श्रीकृष्ण ये सब देखकर व्याकुल हो जाते हैं और अपनी माता यशोदा से पूछते हैं- मैया, ये सब ब्रजवासी आज किसकी पूजा की तैयार में लगे हैं. तब यशोदा माता ने बताया कि ये सब इंद्र देव की पूजा की तैयारी कर रहे हैं.
तब श्रीकृष्ण फिर से पूछते हैं कि इंद्र देव की पूजा क्यों करेंगे, तो यशोदा बताती हैं कि इंद्र देव वर्षा करते हैं और उस वर्षा की वजह से अन्न की पैदावार अच्छी होती है. जिससे हमारी गाय के लिए चारा उपलब्ध होता है.
तब श्रीकृष्ण ने कहा कि इंद्रदेव का वर्षा करना कर्तव्य है. इसलिए उनकी पूजा की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि गोवर्धन पर्वत पर गायें चरती हैं. इसके बाद सभी ब्रजवासी इंद्रदेव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे. इससे इंद्रदेव नाराज हो गए और क्रोध में आकर मूसलाधार बारिश करने लगे. जिस वजह से हर तरफ कोहराम मच गया.
सभी ब्रजवासी अपने पशुओं की सुरक्षा के लिए भागने लगे. तब श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का अहंकार तोड़ने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया. सभी ब्रजवासियों ने पर्वत के लिए शरण ली. जिसके बाद इंद्रदेव को अपनी गलती का अहसास हुआ. उन्होंने श्रीकृष्ण से मांफी मांगी. इसके बाद से गोवर्धन पर्वत की पूजा की परंपरा शुरू हुई. इस पर्व में अन्नकूट यानी अन्न और गौवंश की पूजा का बहुत महत्व है.
क्या है अन्नकूट
दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन जी को पूजा होती है. इस दिन ख़ास तौर पर भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान होता है. इतना ही नहीं बल्की इस दिन 56 प्रकार के पकवान बनाकर श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता है. इन पकवानों को ही ‘अन्नकूट’ कहते हैं.
इस दिन बनने वाले अन्नकूट में कई तरह की सब्जियां, कढ़ी-चावल, खीर, मिठाईयां, रबड़ी, पेड़े, पुवा, मक्खन, मिश्री, पूड़ी इत्यादि व्यंजन बनाए जाते हैं.यह सभी अन्नकूट कहलाते हैं इन सभी व्यंजनों के तैयार होने के बाद भगवान कृष्ण को इसका भोग लगाया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है.
अत्यंत महत्वपूर्ण है यह गोवर्धन पूजा
सनातन धर्म के लोगों के लिए गोवर्धन पूजा का बड़ा ही महत्त्व होता है क्योंकि इस दिन विशेष तौर पर गौ माता का पूजन किया जाता है. अलग – अलग जगहों में इस पूजा की कई मान्यताएं और भी हैं जैसे कई अन्य जगहों पर यह पूजा परिवार की सुख-समृद्धि, अच्छी सेहत और लंबी उम्र की कामना के लिए भी की जाती है.
लेकिन मूल रुप से इस दिन गौ माता का पूजन, लाडले कन्हैया का पूजन बड़े ही धूम धाम से गाय के गोबर का गोर्वधन पर्वत बना कर किया जाता है.