प्रत्येक साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व को देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस खास अवसर पर बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं और भाई की लंबी आयु और सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए कामना करती हैं।
भाई दूज से जुड़ी मान्यताएं
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध कर अपनी बहन सुभद्रा से मुलाकात की थी। इस दौरान सुभद्रा ने श्रीकृष्ण का तिलक किया और माला अर्पित कर उनका स्वागत किया। साथ ही उन्हें मिठाई खिलाई। सुभद्रा ने अपने भाई की दीर्घ आयु के लिए कामना की।
सनातन धर्म ग्रंथों में की इस कथा का उल्लेख देखने को मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान यम अपनी बहन यमुना से मिले थे, उस समय मां यमुना ने यम देवता का आदर-सत्कार किया और उन्हें भोजन कराया। इससे यम देव अति प्रसन्न हुए। उन्होंने वचन दिया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर जो कोई अपनी बहन से मिलने उनके घर जाएगा। उस व्यक्ति की हर मनोकामना अवश्य ही पूरी होगी। साथ ही सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होगी। तभी से भाई दूज मनाने की शुरुआत हुई।
क्यों मनाते हैं भाई दूज
भाई दूज का पर्व पुरानी परंपरा और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है। भाई दूज भी रक्षाबंधन की तरह भाई बहन का त्योहार है। इसे उनके प्रेम और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी आयु की कामना के साथ सुख शांति के लिए पूजा करती हैं। इस दिन बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगा कर उनकी पूजा-आरती करती है। इसके बाद भाई का मुंह मीठा कराती है। वहीं भाई भी बहन को उपहार या शगुन देते हैं।
भाई दूज की पूजा विधि: भाई के लिए मंगल कामना
भाई दूज के दिन बहनें अपने भाईयों के लिए पूजा का आयोजन करती हैं और उनके सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। आइए, भाई दूज की विधि को समझते हैं:
- स्नान और पूजा की तैयारी: सबसे पहले, बहनें स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं। इसके बाद पूजा स्थल को साफ करके चौकी या आसन बिछाया जाता है।
- पूजा सामग्री: पूजा के लिए थाली में रोली, मौली, चावल, अक्षत, सिंदूर, दीपक, कपूर, मिठाई, फल और भोग के लिए बनाया गया भोजन रखा जाता है।
- भाई का आसन: भाई को पूजा स्थल पर आसन दिया जाता है।
- आचमन: भाई को जल का आचमन कराया जाता है।
- तिलक लगाना: बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं। तिलक लगाने के लिए रोली और चंदन का प्रयोग किया जा सकता है।
- मंत्रोच्चार: बहनें यम द्वितीया की कथा का पाठ करती हैं और भाई के लिए मंगल कामना करती हैं।
- आरती और प्रसाद: भाई की आरती उतारी जाती है और दीप प्रज्वलित किया जाता है। इसके बाद भाई को भोजन और मिठाई का प्रसाद ग्रहण कराया जाता है।
- आशीर्वाद: भाई बहन को आशीर्वाद देता है और उपहार भेंट करता है।
भाई दूज की पूजा विधि सरल है, लेकिन इसमें बहन के प्रेम और भक्ति का भाव निहित होता है। यह परंपरा भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाती है।