छत्तीसगढ़ की वर्तमान सरकार के जिम्मेदार मंत्री का कहना है की रोजाना सैकड़ो शिकायत आवेदन उनको नौकरी लगाने के नाम पर फर्जीवाड़े के मिलते है,हालाकि मंत्री जी सही भी कहते है चुनावी घोषणा पत्र में सैकड़ो वादे के बाद भी बेरोजगारों की संख्या कम तो नहीं हो रही ऐसे में धोखेबाजों की संख्या बढ़ रही और फर्जीवाड़े के प्रकरण भी रोजाना बढ़ रहे,,बेचारे पुलिस वाले भी क्या करे जैसे ही कोई केश दर्ज होता है वैसे ही इन फर्जीवाड़े की दुकान चला रहे संचालकों को प्रश्रय देने वाले नेताओं के खजांची पुलिस अधिकारियों को आरोपियों को मदद करने की बात कहकर कानून को बौना बना देते है,कई पुलिस वाले भी ऐसे नेताओं के हस्तक्षेप की आड़ में अपनी भी तिजोरी भर रहे है,
मामले थाने से आगे बढ़ते ही नहीं,जैसे ही 420 का अपराध दर्ज हुआ पुलिस के पौ बारह हो जाते है,उन्हे 420 का आरोपी और पीढ़ित दोनो ही ग्राहक के रूप में दिखने लगते है, पीढ़ित के शिकायत दर्ज कराते ही फर्जीवाड़ा करने वाले को गोपनीय फोन हो जाता है,और शुरू होता है मामले को दबाने के पीछे का खेल,पीढ़ित को तो अपनी ठगी के पैसे वापस चाहिए रहते है ऐसे में वो बेचारा पुलिस के हर कार्यप्रणाली को अपने हक में समझकर बेवकूफ बनता रहता है लेकिन पुलिस तो अपने फायदे का काम करते रहती है,सलाखों के पीछे डालने की बजाए पुलिस आरोपी को चाय पर बुलाकर नंबरों पर बात करती है,ऐसे में आरोपी सीना चौड़ाकर पीढ़ित के सामने घूमता रहता है,
बेरोजगारों के परिजनों को लूटकर क्षेत्र में घूम रहे आरोपी को पुलिस फरार बताकर मौज करने की छूट देते रहती है उसका कारण भी स्पष्ट है बिना अपने फायदे के आखिर पुलिस ऐसा क्यों करेगी,,और मजे की बात ये है कि जो काम पुलिस का रहता है अपराध दर्ज होने के बाद आरोपी को खोजने का,तो वह काम भी पीढ़ित को करने पुलिस के द्वारा कहा जाता है, ताकि आरोपी का क्या हुआ यह भी पीढ़ित पुलिस से ना पूछ सके,ऐसे में पुलिस के पास कोई उच्च अधिकारी पूछ भी लिया तो जवाब साफ रहता है आरोपी की तलाश जारी है,दोनो तरफ से पैसे खाएं पुलिस वाला अपने साहब को भी कह देता है साहब पीढ़ित को तो बोला गया है जब भी आरोपी दिखे बता देना उसे पकड़कर जेल भेज देंगे,अब आरोपी की खोजबीन पीढ़ित करे या ये काम पुलिस का है ये बड़ा प्रश्न है,कई मामले तो थानों में दर्ज होने से पहले ही मंडवाली करा दिए जाते है ताकि थानों में अपराध कम दर्ज होने पर सब खैरियत दिखा सके,ऐसे में ही तो कहलाएगा राज्य शासन का सुशासन
अब इतनी बात कही गई है तो इसके पीछे का एक मामला भी जान लीजिए,
मामला किसी गांव देहात का नही बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य के राजधानी रायपुर का है,
रायपुर के रहने वाले तुलेंद्र साहू ने अपने बहु बेटे और भतीजे को अलग अलग विभागो में सरकारी नौकरी लगाने के नाम पर तीन आरोपी दिलीप वर्मा,योगेश साहू और रुद्र सेन को करीब 6 लाख 50 हजार दिए,तीनो की नौकरी लगाने के एवज में करीब 20 लाख में सौदा तय हुआ था,
जिसके बाद आरोपियों ने पीढ़ित की बहू सरिता साहू को कोर्ट में स्टेनो हिंदी,RTO विभाग में,और एक की कलेकटरेर में चपरासी के पद पर पदस्थ करने बकायदा डाक के माध्यम से कॉल लेटर भेजा गया जिसपर लोक सेवा आयोग,जिला एवं सत्र न्यायाधीश का हस्ताक्षर और मुहर लगा हुआ था ऐसे में पीढ़ित को नौकरी लगने की खुशी होने लगी लेकिन जब समय आया तो पता चला ये सभी फर्जी दस्तावेज है
ऐसे में अपने पैसे की मांग आरोपियों से की गई जिसपर उसे घुमाना शुरू कर दिया,और जो करना है कर लो हमारा कुछ नही बिगड़ेगा पुलिस हमारी जेब में है ये कहते हुए अपना सीना ठोकने लगे,मामले में सबसे पहले टीकरा पारा थाना में 16 जनवरी 2024 को लिखित शिकायत दिया गया,मामले में कोई एक्शन ना होने पर पीढ़ित ने 7 फरवरी को पुलिस कप्तान से लिखित शिकायत की लेकिन यहां से भी कोई कार्यवाही पूरे दो माह तक कुछ नहीं किया गया तब जाकर पीढ़ित ने कलेक्टर के पास 2 अप्रैल को जनदर्शन में शिकायत किया,कलेक्टर के पास दी गई शिकायत का थोड़ा असर पुलिस को पड़ा जिसपर पीढ़ित को 4 अप्रैल को टिकरा पारा थाने बुलाया गया साथ ही आरोपियों को भी पकड़कर लाया गया,
लेकिन पुलिस वालो ने आरोपियों के पक्ष में बात करते हुए पीढ़ित को पूरा पैसा देने आरोपी तैयार है केश ना करो कहने लगे जिसपर एक बार फिर पीढ़ित भरोसा कर लिया और आरोपियों के द्वारा 2 लाख 58 हजार का चेक अक्तूबर माह का और साथ ही हर माह 50 हजार नगद देने का वादा करते हुए पहली किश्त के रूप में 50 हजार रुपए पीढ़ित को दिए,लेकिन जैसे ही मई माह आया तो पीढ़ित ने आरोपियों को कॉल किया जिसपर उन्होंने पैसे देने में असमर्थता दिखाई,इसके बाद पीढ़ित थाने पहुंचा और जिन पुलिस वालो ने मध्यस्थता की थी उनसे राशि दिलाने कहा लेकिन पुलिस वालो ने हाथ खड़े कर दिए,अब पीढ़ित पूरी तरह से फर्जीवाड़ा करने वालो और सिस्टम का शिकार हो चुका था,मायूस पीढ़ित आखिरकार न्याय की आश में राज्य के गृह मंत्री के पास 7 जून,17 जून और 27 जून 2024 को तीन आवेदन दिया,तो वही 17 अगस्त 2024 को मुख्यमंत्री को शिकायत आवेदन प्रदान किया गया,
रायपुर शहर के टिकरापारा थाना में 21 जुलाई को पीढ़ित तुलेन्द्र साहू के बार बार गुहार और शिकायत करने के बाद पुलिस ने तीन आरोपी दिलीप वर्मा,योगेश साहू और रुद्र सेन के खिलाफ 420 का अपराध दर्ज किया,21 जुलाई से लेकर अब तक आरोपी पुलिस के गिरफ्त से बाहर है,जबकि सभी आरोपी टिकरापारा थाना अंतर्गत मठपुरैना के रहने वाले है जो रोजाना सामान्य रूप से क्षेत्र में घूम रहे है यही नहीं बड़े बड़े प्रदर्शन में नेता के रूप में भी पहुंच रहे है,इसकी जानकारी पुलिस को देने के बाद भी वह पकड़ नही पा रही शायद पुलिस के हाथ बौने हो चुके है,
सबसे खास बात इस बड़े फर्जीवाड़े का रुद्र सेन भी आरोपी है जो की सर्व सेन नाई समाज का प्रदेश का बड़ा पदाधिकारी और बड़े नेताओं से रिश्ता बताकर ठगी का खेल खेलता है,जो की लगातार क्षेत्र में घूम रहा है और इसे भी पुलिस फरार बता रही है, सुत्र के अनुसार इन तीनो आरोपियों के द्वारा ऐसे कई लोगो को अपना शिकार बनाया है जिसकी शिकायत थाने में हुई है पर कड़ी कार्यवाही ना होकर आरोपियों को किसी अन्य बेरोजगारों को ठगने की छूट दे दी गई है,अब देखना होगा तुलेंद्र साहू जैसे ऐसे कई पीढ़ित है जो सामने नही आ पाए है इस खबर के बाद और कितने मामले इनके उजागर होते है और आरोपी सलाखों के पीछे होते है,