मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के वकील ने SIMI की संलिप्तता का तर्क दिया। जानें 2008 मालेगांव ब्लास्ट के नए मोड़ और केस से जुड़ी प्रमुख जानकारियाँ।
मुंबई: 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट के मामले में गुरुवार को भाजपा नेता और प्रमुख आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के वकील ने विशेष अदालत में तर्क दिया कि इस धमाके को प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) ने अंजाम दिया हो सकता है। यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा देखा जा रहा है, और मामले की सुनवाई विशेष जज ए के लाहोटी के न्यायालय में चल रही है।
SIMI पर आरोप
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के वकील, जे पी मिश्रा ने अदालत में कहा कि धमाके के तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस को घटनास्थल पर पहुँचने से रोका था। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा करने का उद्देश्य आरोपियों को बचाने का हो सकता है, और SIMI इस घटना के पीछे हो सकता है। मिश्रा ने तर्क दिया कि यह एक साजिश हो सकती है ताकि असली आरोपियों को छिपाया जा सके और दोषी ठहराया जा सके।
यह तर्क महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि मालेगांव धमाके में अब तक की जांच और आरोप पत्र में हिन्दू आतंकवाद से जुड़े लोगों के नाम सामने आए थे, जिनमें साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और अन्य प्रमुख नाम शामिल हैं। इस नई दलील से मामले में एक नया मोड़ आ सकता है।
2008 मालेगांव धमाका: एक नज़र
2008 का मालेगांव ब्लास्ट महाराष्ट्र के मालेगांव में 29 सितंबर को हुआ था। यह धमाका रमज़ान के महीने में हुआ था, जब कई लोग मस्जिद के बाहर एकत्रित थे। इस धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
मालेगांव ब्लास्ट की जांच के दौरान, शुरूआत में महाराष्ट्र एंटी-टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने इस केस की जांच की थी और बाद में यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपा गया। इस मामले में कई लोगों को आरोपी बनाया गया, जिसमें साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और सेना के पूर्व अधिकारी कर्नल पुरोहित का नाम भी सामने आया।
साध्वी प्रज्ञा और अन्य की संलिप्तता
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और अन्य आरोपियों पर आरोप है कि उन्होंने हिन्दू राष्ट्र के निर्माण की विचारधारा के तहत यह धमाका किया। साध्वी प्रज्ञा पर आरोप था कि उनकी मोटरसाइकिल को इस ब्लास्ट में इस्तेमाल किया गया था। हालांकि, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार बताया है और कहा है कि उन्हें राजनीतिक षड्यंत्र के तहत फंसाया गया है।
इस मामले में कर्नल पुरोहित को भी आरोपी बनाया गया था, जिन पर आरोप है कि उन्होंने धमाके के लिए विस्फोटक सामग्री उपलब्ध कराई थी।
SIMI की भूमिका पर सवाल
SIMI एक प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन है, जिसे भारत सरकार ने आतंकवाद और देशविरोधी गतिविधियों के कारण 2001 में प्रतिबंधित कर दिया था। इस संगठन पर कई बार देश में आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगे हैं। हालांकि, मालेगांव ब्लास्ट केस में अब तक की जांच में SIMI का नाम प्रत्यक्ष रूप से सामने नहीं आया था।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के वकील द्वारा अदालत में दिए गए तर्क के बाद यह मामला और जटिल हो गया है। वकील का कहना है कि SIMI इस धमाके के पीछे हो सकता है और इसे एक साजिश के तहत हिन्दू आतंकवाद का नाम दिया गया है।
अदालत में बचाव पक्ष की दलीलें
वकील जे पी मिश्रा ने अदालत में जोर देकर कहा कि मालेगांव ब्लास्ट में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और अन्य आरोपियों को फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि धमाके के तुरंत बाद स्थानीय लोगों द्वारा पुलिस को घटनास्थल पर पहुँचने से रोकना संदेहास्पद है और यह इस ओर इशारा करता है कि असली आरोपी छिपे हुए हैं।
मिश्रा ने आगे कहा कि SIMI के कार्यकर्ता इस तरह के ब्लास्ट को अंजाम दे सकते हैं और यह धमाका भी उनके द्वारा किया गया हो सकता है।
NIA और ATS की भूमिका
मालेगांव ब्लास्ट केस में शुरूआती जांच महाराष्ट्र ATS द्वारा की गई थी, जिसमें हिन्दू संगठनों के कुछ सदस्यों को आरोपी बनाया गया। इसके बाद NIA ने इस केस को अपने हाथ में लिया और जांच को आगे बढ़ाया। NIA ने भी कई सबूत जुटाए और इस केस में कई चार्जशीट दाखिल कीं।
हालांकि, बचाव पक्ष का कहना है कि जांच एजेंसियों ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है और असली दोषियों को बचाने की कोशिश की गई है। बचाव पक्ष का यह भी तर्क है कि राजनीतिक दबाव के चलते हिन्दू संगठनों को इस केस में फंसाया गया है।
राजनीतिक रंग
यह मामला केवल कानूनी दायरे तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका राजनीतिक महत्व भी है। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्य हैं और वर्तमान में भोपाल से सांसद भी हैं। उनके खिलाफ चल रहे इस केस को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी बहस छिड़ी हुई है।
BJP और उसके समर्थक इस केस को राजनीतिक षड्यंत्र करार दे रहे हैं, जबकि विपक्षी पार्टियां इसे हिन्दू आतंकवाद का मामला मानती हैं।
मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के वकील द्वारा SIMI की संलिप्तता का तर्क देने से यह मामला और पेचीदा हो गया है। हालांकि, अभी अदालत का फैसला आना बाकी है और यह देखना होगा कि क्या इस नए तर्क से केस में कोई बदलाव आता है या नहीं।
यह केस भारतीय न्याय व्यवस्था और राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है, जहाँ धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के मुद्दे भी जुड़े हुए हैं।