रायपुर। राजधानी का हाल इन दिनों गांव की तरह हो गया है। जहां कच्चे रास्तों पर वाहनों के चलते ही धूल उड़ने लगती है, वैसे ही इन समय राजधानी की सड़कों से धूल उड़ रही है। शहर में बारिश से पहले 28 वार्डों की 60 से ज्यादा सड़काें के सुधार के लिए विभागों ने करोड़ों रुपये खर्च किया था, उनकी स्थिति अब बेहद बुरी हो चुकी है।
अब लोग कंकड़ के बीच धूल में गाड़ी चलाना पड़ रहा है। चालकों को हर समय वाहनों के स्लीप करने और दुर्घटना का डर रहता है। डामर के साथ सड़कों पर बिछाई गई गिट्टी में अब गिट्टी ही बची है। डामर को कोई जानकारी नहीं है।
मई से जुलाई तक, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम और स्मार्ट सिटी ने डामरीकरण के लिए लगभग सत्तर करोड़ रुपये खर्च किए थे. लेकिन इतना धन खर्च करने के बाद भी ये सड़कें राजधानीवासियों को सत्तर दिन भी सेवा नहीं दे सकीं। अब मानसून खत्म होने में दो महीने बचे हैं, इसलिए स्थिति और खराब होने की संभावना है।
संतोषी नगर चौक के चारों तरफ सड़कों पर 10 से 12 इंच के गड्ढ़े मौजूद हैं। वहीं, चौक के दोनों तरफ सर्विस लाइन की स्थिति बेहद खराब है। दो पहिया चालकों के लिए चलना मुश्किल हो गया है। दोनों तरफ की सर्विस लाइन में बड़े-बड़े गड्ढ़े हैं।
भाटागांव ओवर ब्रिज से नीचे उतरते ही बस स्टैंड के गेट नंबर-3 के पास सड़क में धूल के साथ कीचड़ की भरमार है। आधे हिस्से में पानी भरा रहता है, जहां लोगों को कीचड़ पार कर आना जाना पड़ रहा है, वहीं, ऊपर के हिस्से में जहां पानी नहीं भरा है, वहां लोग धूल से परेशान हैं। बड़ी बात तो यह है कि यहीं पर नगर निगम के जोन-6 का कार्यालय है और अंतरराज्यीय बस स्टैंड भी। इसके भी सर्विस लाइन की स्थिति खराब है।
नगर निगम रायपुर के अपर आयुक्त विनोद पाण्डेय ने कहा, शहर की सड़कों में मरम्मत का काम नगर निगम द्वारा समय-समय पर किया जाता है। बारिश से पहले कई सड़कों को ठीक किया गया था, जहां कि स्थिति दोबारा से खराब हो गई हैं, वहां, फिर से काम कराया जाएगा।