गुरुवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में राजनादगांव डीईओ के छात्राओं से दुर्व्यवहार और जेल भेजने की धमकी के मामले की सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने शिक्षकों की कमी वाले स्कूलों में नियुक्ति की जानकारी मांगी है। सुनवाई के दौरान शासन ने बताया कि प्रदेश में लगभग 200 स्कूल हैं, जहां शिक्षकों की कमी है। ऐसे स्कूल शिक्षक नियुक्त कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने शिक्षकों की नियुक्ति के बारे में जानकारी देने के निर्देश दिए।
जिले की छात्राएं स्कूल में शिक्षक नहीं होने पर नियुक्ति की मांग करने गईं। विद्यार्थियों ने बताया कि यह साल उनका बारहवीं बोर्ड है। वह बारहवीं की परीक्षा कैसे फाइट करेगा अगर शिक्षक नहीं होगा? छात्राओं की जायज मांग पर, जिला शिक्षा अधिकारी ने छात्राओं को कैबिन से बाहर निकाल दिया और कहा कि अगर वे जीवन भर जेल में रहेंगे तो उसे समझ में आएगा।
प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने डीईओ के इस व्यवहार को सबसे अधिक दिखाया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने जनहित याचिका के रूप में इसकी सुनवाई शुरू की है। कोर्ट ने स्कूल शिक्षा सचिव, संचालक स्कूल शिक्षा, राजनांदगांव कलेक्टर और डीईओ राजनांदगांव को मामले में नोटिस भेजा है। दो सप्ताह बाद इस मामले की अगली सुनवाई हुई।
गुरुवार को कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में सीएम विष्णुदेव साय ने भी कलेक्टर्स को अपने अधिकारियों को भाषा पर नियंत्रण रखने की सलाह दी। ऐसा नहीं करने पर मुख्यमंत्री ने खुद को कार्रवाई करने की चेतावनी दी।