डोंगरगढ़ पहाड़ी पर विराजित विश्व प्रसिद्ध मां बम्लेश्वरी (बमलई) मंदिर में डेढ़ क्विंटल चांदी का दरवाजा लगेगा। नवरात्र (2024) से पहले पुराने दरवाजे को हटाकर नया दरवाजा लगाया जाएगा। इसका खर्च लगभग डेढ़ करोड़ होगा।
दरवाजे पर लगाए जाने वाली चांदी की चादर की मोटाई 22 गेज की होगी, जिसे रायपुर में तैयार कराया गया है। इसे लकड़ी के ऊपर नई डिजाइन के साथ चढ़ाया जाएगा। इसके लिए महाराष्ट्र के नासिक से छह कारीगरों की टीम डोंगरगढ़ पहुंच गई है।
काम को एक या दो दिन में शुरू कर दिया जाएगा। मंदिर पर लगभग 17 साल पहले लगभग 60 किलो चांदी का दरवाजा लगाया गया था, लेकिन यह पुराना हो गया है। इसी दरवाजे को बदलना होगा। पुराने दरवाजे की चांदी उसे गलाकर दूसरे स्थान पर प्रयोग की जाएगी।
नए दरवाजे में दी जा रही प्राचीनतम शैली का आकर्षक डिजाइन बनाया जा रहा है। धार्मिक चिन्हों के अलावा इसमें अन्य प्रकार की कलाकारी भी होगी। शनिवार को रायपुर से चांदी की चादर आई। अब उसे प्रेस कर साइज करना होगा।
दूसरी ओर, नीचे बम्लेश्वरी मंदिर का सबसे प्राचीन रूप बनाया जा रहा है। मंदिर के सामने भी गुलाबी पत्थर की पालिश कराई जा रही है। वह केमिकल से लेमीनेट होकर चमक जाएगा।
देवी-देवताओं की आकृतियां भी पिलरों पर उकेरी जाती हैं। साथ ही गुंबज वाले क्षेत्र में जीर्णोद्धार का बाकी काम भी पूरा हो रहा है। ओडिशा के २० कलाकार पत्थर का काम कर रहे हैं।
ऐसी है साज-सज्जा की योजना
- 22 गज मोटी होगी चांदी की परत
- 6 कारीगर आ चुके हैं नासिक से
- 17 वर्ष पहले 60 किलो चांदी का लगा था दरवाजा
- 20 कलाकार कर रहे पत्थरों वाला काम