Total Users- 1,136,077

spot_img

Total Users- 1,136,077

Saturday, December 6, 2025
spot_img

कारगिल जीत दिवस : पांच पाकिस्तानियों को मार डालने के बाद वीरगति को प्राप्त हुए कौशल की कहानी उत्साह से भर देगी

26 जुलाई 1999 को भारत सरकार ने कारगिल विजय दिवस मनाया। वास्तव में, तब तक कारगिल के द्रास सेक्टर की ऊंची चोटियों से गोली मारने वाले पाकिस्तानियों में से अधिकांश मर चुके थे। कुछ टापों को बचाया गया था। जुलू टॉप इसमें से एक था। 25 जुलाई को, इंडियन आर्मी के 9 पैरा यूनिट के सेना नायक कौशल यादव को जुलू टॉप को मुक्त करने का काम सौंपा गया। कौशल यादव के दल ने न केवल 130 पाकिस्तानियों को भागाया, बल्कि पांच पाकिस्तानियों को भी मार डाला। जुलू के सिर पर तिरंगा लहराने के बाद वे वीरगति को प्राप्त हुए।

बलिदानी कौशल यादव का परिवार मूलत: उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। उनके पिता रामनाथ यादव बीएसपी कर्मी थे। लिहाजा पूरा परिवार हुडको में रहता था। माता धनवंता देवी के संस्कार और पिता रामनाथ व भाई राम बचन यादव के अनुशासन ने कौशल को एक अलग ही ढांचे में डाल दिया।

फौजी सीरियल देखा करते थे कौशल

उनकी प्रारंभिक शिक्षा भिलाई के बीएसपी स्कूल में हुई थी। पढ़ते समय ही सेना में जाने की इच्छा बोलने लगी। वह सेना के बारे में बहुत पढ़ा था। भाई राम बचन बताते हैं कि वह एक सैन्य शो को बहुत पसंद करते थे।

रिश्तेदारों ने बताया कि 1989 में जब वे बीएससी के पहले वर्ष में थे, तो वे इंडियन आर्मी के 9 पैरा यूनिट, उधमपुर में चयनित हुए थे। 10 वर्षों तक उधमपुर में रहे। कमांडो ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। दस साल के दौरान, वे हर बार भिलाई आते थे और अपने सभी दोस्तों और परिवार के सदस्यों से मिलते थे। कौशल यादव का व्यक्तित्व हंसमुख था।

कारगिल युद्ध से पहले भिलाई में छुट्टी बिताकर वापस लौटे थे कौशल

वे कारगिल युद्ध के कुछ दिन पहले भिलाई से छुट्टी लेकर वापस आए थे। 1999 में कारगिल में एक खतरनाक युद्ध हुआ था। कारगिल में पाकिस्तानी सेना ने कई ऊंची चोटियों पर पकड़ लिया था। 15 डिग्री माइनस डिग्री के तापमान में भीरतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को पराजित किया। कुछ टापों को बचाया गया था।

उनमें से एक था जुलू टॉप। जिसे मुक्त कराने की जिम्मेदारी सेना नायक कौशल यादव को सौंपी गई। उनकी बटालियन ने 130 पाकिस्तानी सैनिकों को मार भगाया। कौशल यादव ने अकेले पांच पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा। इसी दौरान उनके सीने पर कई गोली लगी। फिर भी उन्होंने जुलू टाप पर तिरंगा लहाराया और वीरगति को प्राप्त हो गया।

बलिदानी कौशल यादव को भारत सरकार ने मरणोपरांत वीरचक्र से सम्मानित किया। हुडको (आमदी नगर) के जिस वार्ड में उनका परिवार रहता है, उस परिवार का नाम भिलाई नगर निगम ने बलिदानी कौशल यादव वार्ड रखा। उनकी याद में हुड़को में भव्य गेट तथा स्मारक बनाया गया है। उनकी स्मारक पर हर साल 25 श्रद्धांजलि अर्पित करने लोगों की भीड़ उमड़ती है। छत्तीसगढ़ सरकार के बलिदानी कौशल यादव के नाम पर खेल पुरस्कार भी शुरू किया है।

More Topics

क्या राधिका नगर, भिलाई के कसाईखाने की घपलेबाजी उजागर होगी ?

क्षेत्रीय अधिकारी छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल भिलाई को जवाबदेही...

अब केवल महिलाएं ज़्यादा नहीं बल्कि सभी बराबर अनसेफ हैं.

इस बीते साल में अनेक पत्नियों ने अपने पतियों...

छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल गिरफ्तार,26 दिनों से फरार थे

रायपुर. छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल...

कांग्रेस के नवनियुक्त जिलाध्यक्षों की बैठक,कई वरिष्ठ नेता होंगे शामिल

रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नवनियुक्त 41 जिलाध्यक्षों की महत्वपूर्ण...

बस्तर में शांति और विकास की नई इबारत

नक्सल प्रभावित इलाकों में वानिकी कार्य बना रोजगार का...

इसे भी पढ़े