रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज अपने निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ का पहला पारंपरिक त्यौहार हरेली पूरे उत्साह के साथ मनाया. मुख्यमंत्री ने अपनी धर्मपत्नी कौशल्या साय और परिजनों के साथ मिलकर विधिवत रूप से तुलसी माता, नांगर, कृषि उपकरणों और गेड़ी की पूजा की. उन्होंने प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और किसानों की अच्छी फसल के लिए कामना की.
मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर पर राउत नाचा के कलाकारों के विशेष आग्रह पर छत्तीसगढ़ी पारंपरिक वेशभूषा पहनी, जिससे महोत्सव को नई ऊर्जा मिली। मुख्यमंत्री ने मंच से हरेली पर्व की बधाई दी। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में हरेली को धान का कटोरा कहा जाता है और यह मुख्य रूप से किसानों का त्योहार है। वहीं, कृषि यांत्रिकीकरण सब मिशन योजना के तहत किसानों को मुख्यमंत्री ने ट्रैक्टर दिए। अनुसूचित जाति को चालिस और पच्चीस प्रतिशत अनुदान के तहत टैक्टर दिए गए।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने सम्बोधन में कहा कि मैं सभी का आभार व्यक्त करता हूं आज आप सभी को त्यौहार की बधाई के साथ में कहना चाहता हूं पूरे छत्तीसगढ़ में हमारे सभी बुजुर्ग और महिलाओं को हरेली त्योहार की शुभकामनाएं देना चाहता हूं. आज हमने विधिवत यहां हरेली त्यौहार के अवसर पर महादेव की पूजा अर्चना की है. हमारे गांव के जो यंत्र होते हैं इन सभी कि पूजा की है और महादेव से हमने कामना की है आपका आशीर्वाद बराबर मिलते रहे.
छत्तीसगढ़ में सुख-समृद्धि का आगमन हुआ। हमने हरेली के पहले त्यौहार में पूजा अर्चना करके भगवान से प्रार्थना की कि वर्षा पानी ठीक हो, अनाज की उपस्थिति हो, हर घर में सुख समृद्धि हो, कोई दुख या परेशानी न हो, रोग या बीमारी से भगवान की रक्षा हो। गौ माता को भी पूजा करके उनका आशीर्वाद मांगा है।उन्होंने कहा कि हरेली का त्योहार मुख्य रूप से किसानों का होता है। धान का कटोरा छत्तीसगढ़ी शब्द है। आज यहां की आबादी का लगभग 70 से 80 प्रतिशत खेती से निर्भर है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में हरेली को धान का कटोरा कहते हैं और यह मुख्य रूप से किसानों का त्योहार है.
मुख्यमंत्री साय ने कहा, “एक बार फिर से छत्तीसगढ़वासियों और इस कार्यक्रम में आए सभी लोगों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं. इस अवसर पर मैं ईश्वर से सभी छत्तीसगढ़वासियों की खुशहाली और सुख-समृद्धि की कामना करता हूं.”