कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म की घटना के बाद सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए थे, लेकिन छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े आंबेडकर अस्पताल में स्थिति में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चर्चाएं और बैठकें तो लगातार हो रही हैं, लेकिन ठोस सुधार के ठोस कदम उठाए गए हैं।
सूत्रों के अनुसार, आंबेडकर अस्पताल में कुल 220 सुरक्षा गार्डों के लिए ठेका किया गया है, लेकिन वर्तमान में केवल 170 गार्ड ही तीनों शिफ्टों में सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा निभा रहे हैं। यह स्थिति तब है जब सुरक्षा के लिए 50 अतिरिक्त गार्डों को स्ट्रेचर खींचने और अन्य कार्यों में लगाया गया है।
इस बीच, अस्पताल परिसर में लगाए गए 60-65 CCTV कैमरों में से 60 प्रतिशत यानी लगभग 40 कैमरे बंद पड़े हुए हैं। यह स्थिति और भी चिंताजनक है जब अस्पताल में रात्रि के समय लगभग 100 जूनियर डॉक्टर और 75 से अधिक स्टाफ नर्सों की ड्यूटी रहती है।
इन समस्याओं के बावजूद, प्रशासन की ओर से सुरक्षा में सुधार के ठोस कदम उठाने की दिशा में कोई प्रगति नजर नहीं आ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार की असंवेदनशीलता और लापरवाही से न केवल सुरक्षा में कमी होती है, बल्कि मरीजों और स्टाफ की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है।
आंबेडकर अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को लेकर कई बार आवाज उठाई गई है, लेकिन अब तक सिर्फ चर्चाओं और बैठकों के सिवा कुछ भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। अब देखना यह होगा कि अस्पताल प्रशासन इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए क्या ठोस कदम उठाता है।