दुर्ग के जिला अस्पताल में नवजात शिशुओं की अदला-बदली का मामला सामने आया है। दोनों महिलाओं, साधना सिंह और शबाना कुरैशी, ने 23 जनवरी को एक ही दिन में बेटे को जन्म दिया था। हालांकि, अस्पताल में बच्चों के हाथों में नाम टैग लगाए गए थे, लेकिन एक सप्ताह बाद शबाना के परिवार को पता चला कि उनका बच्चा बदल चुका है। जब ऑपरेशन के बाद ली गई तस्वीरों को देखा गया, तो शबाना को यह अहसास हुआ कि जो बच्चा उनके पास है, वह उनका असली बच्चा नहीं है। शबाना के असली बच्चे के चेहरे पर तिल नहीं था, जबकि उनके पास जो बच्चा था, उसके चेहरे पर तिल था।
इस जानकारी के सामने आने के बाद, शबाना कुरैशी के परिवार ने अस्पताल प्रशासन से संपर्क किया, लेकिन साधना सिंह का परिवार इस बदलने से इंकार कर रहा है। उनका कहना है कि वे अब अपने बच्चे से भावनात्मक रूप से जुड़ चुके हैं और बच्चे को वापस करने के लिए तैयार नहीं हैं। अस्पताल प्रशासन ने मामले की गंभीरता को समझते हुए दोनों परिवारों को बुलाया और चर्चा की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया।
आगे पढ़ेसिविल सर्जन डॉ. हेमंत साहू ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है, और यदि आवश्यक हुआ, तो डीएनए टेस्ट भी कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जांच के बाद ही मामले में स्पष्टता आएगी और उसके आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, शबाना कुरैशी का परिवार समाधान के लिए लगातार अस्पताल के चक्कर काट रहा है। मामला अभी तक सुलझा नहीं है, और इसे लेकर अस्पताल प्रशासन ने शबाना कुरैशी के परिवार को थाने में शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी है।
यह मामला अस्पताल प्रशासन की गंभीर लापरवाही की ओर इशारा करता है, जहां एक गलती के कारण दो परिवारों की भावनाओं और भविष्य पर बड़ा असर पड़ा है।
इस पर पूरी जांच के बाद ही स्पष्ट निर्णय लिया जाएगा।
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