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छत्तीसगढ़ में कब और क्यों मनाया जाता है ‘पोरा तिहार’, जानिए इसका महत्व

यह छत्तीसगढ़ के सभी किसान भाइयों के घरों में मनाया जाने वाला पर्व है. इसमें सभी किसान अपने बैलों को नहलाकर उनकी पूजा करते हैं, साथ ही बच्चे भी बैल के मिट्टी के खिलौने बनाकर उनकी पूजा करते हैं और अंत में उनका विसर्जन किया जाता है।

तीजा पोरा त्यौहार क्यों मनाया जाता है

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में खेती का समय लगभग जुलाई से अगस्त तक होता है, जब किसान अपने खेतों की बुवाई और जुताई पूरी कर लेते हैं. उसके बाद सितंबर में लगभग सभी खेती से जुड़े कार्य खत्म हो जाते हैं, जिसमें बैल और भैंस भी शामिल होते हैं।

वह खेती के दौरान पूरी तरह से सहयोग करता है, अर्थात् खेती जुलाई में शुरू होती है और अगस्त में लगभग खत्म होती है. सितंबर में, किसानों ने बैलों का सम्मान करने के लिए एक उत्सव मनाया जाता है, जिसमें वे बैलों को पूजते हैं और घर में कुछ खाना बनाते हैं, जैसे ठेठरी, कुर्मी और बड़ा, और एक दूसरे को खिलाते पिलाते हैं.

छत्तीगढ़िया पोरा के दिन किस चीज की पूजा करते है

छत्तीसगढ़ में यह त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है छोटे बच्चों से लेकर बड़े पुरुषों तक इस त्यौहार को मनाया जाता है जिसमें सभी परिवार एक साथ खाना पीना करते हैं और बहुत सारे व्यंजन बनाते हैं जिसमें से कुछ व्यंजन हैं ठेठरी, कुर्मी, बड़ा, भजिया यह सभी व्यंजन बनाया जाता है तथा बैलों का एक साथ खिलाया भी जाता है और परिवारों को एक साथ मिलकर खाना खाया जाता है

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