बेमेतरा जिले के निवासी भुलऊ मेहर की जीवन यात्रा अब प्रेरणा की मिसाल बन चुकी है। वर्षों तक सीमित संसाधनों और पुराने औजारों के सहारे मोची का कार्य करने वाले भुलऊ अब छत्तीसगढ़ सरकार की योजनाओं की बदौलत आत्मनिर्भर बन चुके हैं।
भुलऊ मेहर पिछले 16 वर्षों से मोची का कार्य कर रहे थे, लेकिन आधुनिक औजारों और तकनीक के अभाव में उनका व्यवसाय मुश्किलों से गुजर रहा था। परिवार चलाना भी मुश्किल होता जा रहा था। ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार की संत रविदास चर्मशिल्प योजना उनके जीवन में बदलाव की किरण बनकर आई।
इस योजना के अंतर्गत भुलऊ मेहर को एक नई मोची पेटी और आधुनिक औजार प्रदान किए गए। शुक्रवार को स्वयं कलेक्टर रणबीर शर्मा ने उन्हें यह सामग्री सौंपी। इस अवसर पर एडीएम अनिल वाजपेयी और सहायक आयुक्त आदिवासी विकास अभिषेक जायसवाल भी मौजूद रहे। औजार प्राप्त करते समय भुलऊ के चेहरे पर खुशी और आत्मविश्वास साफ झलक रहा था।
अब बढ़ी आमदनी, सुधरी जिंदगी
भुलऊ मेहर का कहना है कि अब उनके काम की गुणवत्ता और रफ्तार में सुधार हुआ है। वे अधिक ग्राहकों को बेहतर सेवा दे पा रहे हैं जिससे आमदनी में भी वृद्धि हुई है। इसके साथ ही उन्हें राज्य और केंद्र सरकार की अन्य योजनाओं का भी लाभ मिला है:
- प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत उन्हें पक्का घर मिला।
- राशन कार्ड के जरिए उन्हें हर महीने उचित मूल्य पर खाद्यान्न मिल रहा है।
- आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत उनका और उनके परिवार का इलाज अब मुफ्त में हो सकता है।
इन योजनाओं के समन्वय से भुलऊ मेहर न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हुए हैं, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हैं।
प्रेरणा बनें भुलऊ मेहर
भुलऊ मेहर की यह कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है जो संसाधनों की कमी के कारण आगे बढ़ने से डरते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि यदि मेहनत के साथ सही समय पर सहायता मिले, तो किसी का भी जीवन बदल सकता है।
आज भुलऊ न केवल खुद को सशक्त बना चुके हैं, बल्कि अपने जैसे अन्य लोगों को भी प्रेरित कर रहे हैं कि सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर कैसे आत्मनिर्भर बना जा सकता है।