नक्सल प्रभावित इलाकों में वानिकी कार्य बना रोजगार का नया जरिया
रायपुर। वन मंत्री केदार कश्यप के निर्देश पर बस्तर जिले के सुदूर गांव चांदामेटा, मुण्डागढ़, छिन्दगुर और तुलसी डोंगरी जो पहले नक्सल गतिविधियों के गढ़ माने जाते थे, अब शांति और विकास की नई पहचान बन रहे हैं। जहां कभी नक्सलियों की ट्रेनिंग हुआ करती थी, वहीं आज वन विभाग स्थानीय युवाओं को वानिकी कार्यों का प्रशिक्षण देकर उन्हें स्व-रोजगार दे रहा है।
रोजगार की उपलब्ध से आर्थिक स्थिति भी हो रही है मजबूत
लंबे समय तक नक्सलियों के प्रभाव और कानूनों की गलत व्याख्या के कारण ग्रामीण विकास के रास्ते से भटक गए थे। शासन के प्रति अविश्वास का माहौल बना दिया गया था, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है।
ग्रामीणों ने इन असामाजिक तत्वों की असल मंशा समझ ली है और वे अब भटकने के बजाय विकास में सहभागी के लिए तैयार हैं। वन विभाग के अधिकारियों द्वारा लगातार संवाद, जागरूकता और विश्वास निर्माण के प्रयासों से ग्रामीणों का नजरिया बदला है। वानिकी कार्यों में स्थानीय लोगों को घर के पास ही रोजगार उपलब्ध कराकर उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा रहा है तथा सामाजिक रूप से भी वे सशक्त हुए हैं।


