तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले के आर.आर. नगर में एक छोटी-सी चाय की दुकान पर रोज़ाना ग्राहकों की भीड़ जुटती है। लेकिन यहां मिलने वाली चाय और पकौड़ों से ज्यादा चर्चा होती है दुकान के मालिक मुथु की, जिनके हाथ किसी करिश्मे से कम नहीं।
उबलते तेल में डालते हैं हाथ, नहीं होता कोई असर!
मुथु पिछले 20 सालों से अपनी दुकान चला रहे हैं, लेकिन उनकी खासियत यह है कि वह बिना झिझक अपने नंगे हाथों से उबलते तेल में पकौड़े निकालते हैं। जब कोई पहली बार यह नज़ारा देखता है, तो उसकी आंखें फटी रह जाती हैं। न जलने की कोई शिकन, न दर्द की कोई आहट—मुथु ऐसे पकौड़े निकालते हैं जैसे वह उबलता तेल नहीं, ठंडा पानी हो।
कैसे कर पाते हैं यह अनोखा कारनामा?
जब लोकल 18 की टीम ने मुथु से इस रहस्य के बारे में पूछा, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, “जब से मैंने यह काम शुरू किया है, मैं लगातार गर्मी के संपर्क में रहा हूं। अब मेरे हाथ इस गर्मी के आदी हो चुके हैं। चाहे जलता हुआ तेल हो या लकड़ी की आग, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।”
मुथु की यह अनोखी कला सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है। लोग उन्हें ‘पकौड़ा मास्टर’ के नाम से बुलाने लगे हैं। उनकी दुकान पर सिर्फ पकौड़ों का स्वाद लेने नहीं, बल्कि इस अनोखे नज़ारे को देखने के लिए भी दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं।
मेहनत से बने ‘लोहे जैसे हाथ’
यह कहानी उन लाखों मेहनतकश लोगों की है, जिनके हाथों में न केवल मेहनत की लकीरें होती हैं, बल्कि संघर्ष की कहानियां भी छिपी होती हैं। मुथु का हुनर यह दिखाता है कि जब इंसान किसी काम को पूरे समर्पण और लगन से करता है, तो वह असंभव को भी संभव बना सकता है।
क्या आप भी कभी तमिलनाडु जाएं तो इस ‘पकौड़ा मास्टर’ के हाथों से बनी चाय और पकौड़े चखना चाहेंगे