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1 रत्ती में कितने ग्राम होते हैं , जानिए सब कुछ

रत्ती (Ratti) वास्तव में रत्ती के बीज होते हैं, जो एक विशेष प्रकार के पौधे से प्राप्त किए जाते हैं। यह पौधा ज्यादातर भारत और दक्षिण एशिया में पाया जाता है। रत्ती के बीजों का आकार और वजन स्थिर होता है, इसलिए इनका उपयोग वजन मापने के लिए पारंपरिक रूप से किया जाता था।

1. रत्ती का स्वरूप (कैसा दिखता है):

  • रत्ती का बीज छोटे आकार का, गोल या अंडाकार होता है।
  • इसका रंग गहरा लाल, भूरे रंग का या काला होता है।
  • रत्ती का बीज कठोर और चमकीला होता है।
  • इसका आकार लगभग एक मटर के दाने जितना होता है, लेकिन इसका वजन बहुत सटीक और स्थिर होता है।

2. रत्ती का उपयोग:

a. रत्नों और आभूषणों में माप:

  • रत्ती का उपयोग ज्योतिषीय रत्नों (जैसे पन्ना, हीरा, माणिक, मोती) का सही वजन मापने के लिए किया जाता है।
  • पुराने समय में, रत्ती का उपयोग सोने, चांदी और अन्य कीमती धातुओं का वजन मापने के लिए किया जाता था। इसे रत्नों के वजन के आधार पर ज्योतिषीय गणनाओं के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था।

b. पारंपरिक माप प्रणाली:

  • भारतीय पारंपरिक माप प्रणाली में, रत्ती एक महत्वपूर्ण इकाई थी। इसका उपयोग विशेष रूप से आभूषण उद्योग में किया जाता था, और कई स्थानों पर आज भी इसका उपयोग जारी है।

c. ज्योतिषीय महत्व:

  • ज्योतिष के अनुसार, रत्नों का सही वजन व्यक्ति के जीवन पर बड़ा प्रभाव डालता है, इसलिए रत्ती का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि रत्न सही वजन के हों।

d. औषधीय उपयोग:

  • आयुर्वेद में, कुछ स्थानों पर रत्ती के बीज का उपयोग औषधीय नुस्खों में भी किया जाता है, हालांकि यह कम सामान्य है।

3. रत्ती का वजन और माप:

  • 1 रत्ती का वजन लगभग 0.12125 ग्राम होता है।
  • प्राचीन समय में, जब आधुनिक वजन मापन के उपकरण नहीं थे, तो रत्ती के बीजों का उपयोग उनके स्थिर वजन के कारण विभिन्न वस्तुओं के मापन के लिए किया जाता था।

4. रत्ती और कैरेट:

  • कैरेट भी रत्नों का माप है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित है। रत्ती से कैरेट अलग होता है, लेकिन दोनों का उपयोग रत्नों के वजन को मापने के लिए किया जाता है।
  • 1 रत्ती = 0.91 कैरेट

5. रत्ती का आज के समय में उपयोग:

  • आजकल आधुनिक माप यंत्रों की वजह से रत्ती का उपयोग उतना आम नहीं है, लेकिन फिर भी पारंपरिक आभूषण और रत्नों के व्यापार में रत्ती का इस्तेमाल किया जाता है। विशेष रूप से ज्योतिषीय रत्नों के संदर्भ में इसका महत्व बना हुआ है।

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