बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री 78 वर्षीय शेख़ हसीना को बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने मानवाधिकारों के ख़िलाफ़ उनके अपराधों के लिए मौत की सज़ा सुनाई है. उसके बाद बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। भारत द्वारा उनकी मांग को तवज्जो नहीं देने पर बांग्लादेश तरह तरह की दलीलें व कानून का हवाला दे रहा है. पूर्व में इसी युनूस सरकार ने भारत के खिलाफ बहुत ज़हर उगला था जबकि शेख हसीना का कार्यकाल भारत –बांग्लादेश के संबंधों का स्वर्णिम युग कहा जा सकता है. अब भारत को, अपना हर प्रकार का राजनीतिक, आर्थिक, अंतर्राष्ट्रीय हित देख कर निर्णय लेना चाहिये. आपकी क्या राय है ?
इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक
दैनिक पूरब टाइम्स


