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Monday, December 15, 2025
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शरीर में कैसे फैलता है कैंसर ऑक्सीजन की कमी से इसका क्या संबंध

शरीर में कैंसर होने के बाद इसका इलाज कराना एक बड़ी चुनौती है. अगर बीमारी आखिरी स्टेज की हो तो मरीज के बचने की संभावना भी कम ही होती है. कैंसर का एक संबंध ऑक्सीजन से भी है. इस बारे में आपको डिटेल में बताते हैं.

मेडिकल साइंस ने काफी तरक्की की है, लेकिन कैंसर मरीज की जान बचाना आज भी एक बड़ी चुनौती है. अब जिस हिसाब से इस बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं यह भी बड़े खतरे का संकेत है. इस जानलेवा रोग के होने के भी कई कारण हैं. जिसके बारे में बात होती ही रहती है. लेकिन इसका एक संबंध शरीर के अंदर ऑक्सीजन की कमी से भी है. कैंसर की सेल्स ऑक्सीजन पर ही निर्भर रहती हैं. इनके बीच का संबंध आपको डिटेल में बताएंगे. उससे पहले कुछ तथ्य जानना जरूरी है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की साल 2024 की रिपोर्ट बताती है कि भारत में बीते 3 सालों से हर वर्ष कैंसर के 14 लाख से अधिक नए मामले आ रहे हैं. अब कम उम्र के लोग भी इसका शिकार हो रहे हैं. इस बीमारी को लेकर एक आम सवाल यह रहता है कि ये होती कैसी है?

इसको ऐसे समझे कि हमारे शरीर में 37 लाख करोड़ सेल्स ( cells) हैं. इनका अपना अलग- अलग काम हैं. ये बनती रहती हैं और खराब सेल्स खत्म भी होती रहती हैं. लेकिन जब शरीर के किसी हिस्से में ये सेल्स कंट्रोल से बाहर होकर तेजी से बढ़ने लगती हैं तो कैंसर हो जाता है. अब आपने मन में सवाल आ रहा होगा कि ये सेल्स क्यों बढ़ती है?

इस बारे में पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ जुगल किशोर बताते हैं कि हर इंसान के शरीर में फ्री रेडिकल्स भी होते हैं. अगर किसी इंसान का खानपान खराब है, वह नशा करता है और प्रदूषित वातावरण में रहता है तो शरीर में फ्री रेडिकल्स बढ़ते हैं. अगर यह ज्यादा हो जाएं तो व्यक्ति के डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं. डीएनए की खराबी का असर सेल्स पर पड़ता है और यह उनको अनियंत्रित तरीके से बढ़ा देता है. यहीं से कैंसर की शुरुआत होती है.

डॉ किशोर के मुताबिक, इंसान के रोजाना की एक्टिविटी और खानपान का असर शरीर के सेल्स पर पड़ता है. उदाहरण के तौर पर ऐसे समझें कि अगर कोई व्यक्ति हर दिन सिगरेट पीता है और वह सालों से ऐसा कर रहा है तो उसके फेफड़ों पर इसका गंभीर असर होगा. एक समय ऐसा आएगा जब सिगरेट के इफेक्ट से इम्यूनिटी नहीं बचा पाएगी और फेफड़ों में इंजरी हो जाएगी. शरीर इसको संभाल नहीं पाएगा तो उस हिस्से की सेल्स कंट्रोल से बाहर हो जाएंगी और तेजी से बढ़ने लगेंगी. इनके बढ़ने से कैंसर शुरू होगा जिसकी अगर समय पर पहचान नहीं हुई तो यह बढ़ने लगेगा और शरीर में फैलेगा.

शरीर में कैसे फैलता है कैंसर?

मैक्स अस्पताल में ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ रोहित कपूर बताते हैं कि शुरुआत में कैंसर एक अंग में होता है और फिर अगर इलाज न हो तो ये सेल्स दूसरे अंगों में फैलने लग जाती हैं. उदाहरण के तौर पर ऐसे समझें कि अगर किसी व्यक्ति को गले का कैंसर हुआ और वह गले में ही है तो ये शुरुआती स्टेज का कैंसर है, लेकिन अगर ये ऊपर सिर या फिर नीच फेफड़ों या पेट तक फैल जाता है तो इसको एडवांस स्टेज का कैंसर बन जाता है. एक से दूसरे अंगों में इस बीमारी के फैलने को मेडिकल की भाषा में मेटास्टेसिस कहते हैं. चिंता की बात यह रहती है कि अगर एक बार पूरे शरीर में कैंसर फैल जाता है तो इसको काबू करना मुश्किल होता है.

डॉ कपूर के मुताबिक, कैंसर सेल्स का एक से दूसरे अंग में फैलना, कैंसर ट्यूमर के आसपास के वातावरण, व्यक्ति की इम्यूनिटी पर निर्भर करता है. जिसकी इम्यूनिटी जितनी कम होगी कैंसर उतनी ही तेजी से फैलेगा. देखा भी जाता है कि अगर किसी की इम्यूनिटी कम रहती है तो कैंसर होने की आशंका अन्य लोगों की तुलना में अधिक होता है.

कैंसर फैलने के बाद काबू में क्यों नहीं आता?

राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट में मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में डॉ विनीत तलवार बताते हैं कि कैंसर सेल्स समय के साथ खुद को बदलती रहती हैं. इनमें जेनेटिक बदलाव तेजी से होते हैं और ये सेल्स ट्रीटमेंट के दौरान दी जा रही दवाओं और थेरेपी के खिलाफ रेजिस्टेंस डेवलप कर लेती हैं, यानी, ये खुद को काफी ताकतवर बना लेती हैं. इससे इन पर ट्रीटमेंट का असर होना बंद हो जाता है. देखा भी जाता है कि कई मरीजों पर कुछ समय तक तो कैंसर का इलाज प्रभावी रहता है, लेकिन बाद में कोई असर नहीं होता है.

कैंसर सेल्स पर इलाज का असर इसलिए भी नहीं हो पाता क्योंकि कैंसर की सेल्स और शरीर की सामान्य सेल्स में अंतर होता है. सामान्य सेल्स में ऐसे प्रोटेक्टिव चीजें होती हैं जो उनको बहुत अधिक बढ़ने से रोकती. कैंसर सेल्स में ऐसा नहीं होता है. ये शरीर की इम्यूनिटी से छिप सकती हैं, इसलिए वे जीवित रहती हैं और बढ़ती रहती है. एक समय के बाद कंट्रोल से बाहर हो जाती है. इस स्थिति में कैंसर पूरे शरीर में फैल जाता है और व्यक्ति की मौत हो जाती है. यही कारण है कि आखिरी स्टेज में कैंसर मरीज की जान बचना मुश्किल हो जाता है. इसलिए कहा जाता है कि कैंसर की समय पर पहचान बहुत जरूरी है.

ऑक्सीजन की कमी का कैंसर से क्या है संबंध?

डॉ रोहित कपूर बताते हैं बाहर के वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन का कैंसर की कमी से संबंध नहीं है, लेकिन शरीर के अंदर के ऑक्सीजन से इसका रिलेशन है. कैंसर सेल्स को जिंदा रहने के लिए ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है. लेकिन जब कैंसर सेल्स तेजी से बढ़ते हैं तो ज्यादा खपत होती है. इससे ऑक्सीजन की कमी हो जाती है. इसको मेडिकल की भाषा में हाइपोक्सिया कहते हैं. इससे एक तरफ तो कैंसर बढ़ने लगता है और दूसरी तरफ ऑक्सीजन कम होने लगता है. यही कारण है कि कैंसर के कई मरीजों को हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी और हाइड्रोजन पेरोक्साइड दी जाती है.

शरीर में ऑक्सीजन क्यों कम हो जाता है ? इस बारे में डॉ कपूर बताते हैं इसकी कमी के कई कारण होते हैं. किसी की ब्लड सेल्स में असामान्यताएं है. ब्लड सर्कुलेशन संबंधी समस्या है या खून की कमी रहती है तो उससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है. लेकिन इसमें एक बात का ध्यान जरूर रखें की ऑक्सीजन की कमी का कैंसर होने में कोई रोल नहीं है. इसका संबंध कैंसर के फैलने से ही है.

कैंसर से बचने का तरीका क्या

डॉ रोहित कपूर बताते हैं कि कैंसर से बचने का तरीका यह है कि आप अपना खानपान और लाइफस्टाइल ठीक रखें. अपनी डाइट से फास्ट फूड, सिगरेट शराब जैसी चीजें बाहर कर दे. रोज एक्सरसाइज करें. डाइट में एंटीऑक्सीडेंट जैसे लहसुन, अदरक भी शामिल करें. हर 6 महीने में अपनी जांच कराएं, विशेष तौर पर सीबीसी टेस्ट जरूर कराना चाहिए. इससे पता चल जाएगा कि शरीर में खून की कमी तो नहीं हो रही है.

अगर आपके परिवार में किसी को कैंसर रहा है तो ये टेस्ट हर हाल में कराएं.अपना वजन भी जांचते रहें. अगर बिना किसी कारण वजन तेजी से बढ़ रहा है तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें. चूंकि इस बीमारी के मामले बहुत ही तेजी से बढ़ रहे हैं तो सेहत का ध्यान रखना जरूरी है. अगर शरीर में कोई बीमारी काफी समय से है तो कैंसर की जांच भी करा लें. इन कुछ तरीकों से आप अपने शरीर में कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं.

कैंसर के बारे में कुछ फैक्ट

भारत में पुरुषों में फेफड़े का कैंसर सबसे ज़्यादा होता है.

भारत में महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा और ब्रेस्ट सबसे ज़्यादा होता है

कुछ कैंसर एक से दूसरी जनरेशन में भी जा सकते हैं

कैंसर ठीक भी हो जाए तो दोबारा होने का रिस्क रहता है

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