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Monday, March 10, 2025
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Lunar Eclipse: दुनिया को हैरान करने वाला है चंद्र ग्रहण होली के दिन ऐसा दिखेगा चांद जानें कहां-कहां आएगा नजर

Lunar Eclipse 2025: 14 मार्च का लगने वाला पूर्ण चंद्र ग्रहण पृथ्वी की छाया से चांद के गुजरने के कारण होगा। यह ग्रहण वर्म मून के दौरान होगा, जो सर्दियों की आखिरी पूर्णिमा होती है। इस दौरान एक माइक्रोमून ग्रहण भी होगा, यानी चांद सामान्य से छोटा नजर आएगा।


Lunar Eclipse 2025: खगोल विज्ञान में दिलचस्पी रखने वालों को मार्च का महीने बेहद खास होने वाला है। दरअसल, 14 मार्च को होली के दिन चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इस दिन आसमान में अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा। आसमान में चांद लाल रंग दिखेगा जिसे ब्लड मून कहा जाता है। पूर्ण चंद्रग्रहण होगा, जो तीन साल होगा। इससे पहले साल 2022 में पूर्ण चंद्र ग्रहण लगा था। 14 मार्च को लगने वाले पूर्ण चंद्र ग्रहण को दुनिया के कई इलाकों में देखा जा सकता है। 

14 मार्च का लगने वाला पूर्ण चंद्र ग्रहण पृथ्वी की छाया से चांद के गुजरने के कारण होगा। यह ग्रहण वर्म मून के दौरान होगा, जो सर्दियों की आखिरी पूर्णिमा होती है। इस दौरान एक माइक्रोमून ग्रहण भी होगा, यानी चांद सामान्य से छोटा नजर आएगा। यह करीब  65 मिनट तक रहेगा। इस दौरान पृथ्वी से चांद सबसे दूर होगा। इसकी वजह से दूसरी पूर्णिमा के मुकाबले छोटा नजर आएगा। यह साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण होगा।

चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जो सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के एक सीधी रेखा में आने पर घटती है। सूर्य और चंद्रमा के बीच में होने के कारण पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। सूर्य का पृथ्वी चक्कर लगाती है। चंद्रमा एक उपग्रह है, जो धरती की परिक्रमा करता है। इस दौरान जब सूर्य और चंद्रमा के बीच धरती आती है, तो सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती है। इससे धरती की छाया चंद्रमा पर पड़ती है। इस खगोलीय घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। पूर्णिमा के दिन यह खगोलीय घटना होती है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक, प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा पड़ती है। 

चंद्रमा को पृथ्वी का चक्कर लगाने और एक पूर्णिमा से दूसरी पूर्णिमा तक एक चक्र पूरा करने में सिर्फ 29.5 दिन लगते हैं। हालांकि, साल में औसतन सिर्फ तीन चंद्र ग्रहण ही लगते हैं। इसकी वजह यह है कि पृथ्वी के चारों तरफ चंद्रमा की कक्षा समतल नहीं है। करीब पांच डिग्री के कोण पर यह है। इसका मतलब है कि चंद्रमा अक्सर पृथ्वी की छाया के ऊपर या नीचे चला जाता है।

साल का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को सुबह 10:41 बजे से शुरू होगा और दोपहर 2:18 बजे समाप्त होगा। यह एक पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। इस दौरान पृथ्वी की छाया से चंद्रमा पूरी तरह से ढंक जाएगा। इससे चंद्रमा गहरे लाल रंग में दिखाई देगा। इस घटना को ब्लड मून कहा जाता है।

कितने प्रकार के होते हैं चंद्र ग्रहण?

चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं। यह इस पर निर्भर है कि सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में किस तरह हैं। आंशिक चंद्र ग्रहण, पूर्ण चंद्र ग्रहण और उपछाया चंद्र ग्रहण होता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण तब लगता है, जब पूरे चंद्रमा की सतह पर धरती की छाया पड़ती है। 

आंशिक चंद्र ग्रहण के दौरान सिर्फ चांद का एक भाग पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है। चंद्रमा के धरती की तरफ वाले हिस्से पर धरती की छाया काली दिखाई देती है। कटा हिस्सा दिखाई देता है, तो वह इस पर निर्भर करता है कि किस प्रकार सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में हैं। उपछाया चंद्र ग्रहण के दौरान धरती की छाया का हल्का बाहरी भाग चंद्रमा की सतह पर पड़ता है। इस ग्रहण को देखना कुछ मुश्किल होता है।

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