बिलासपुर। जमीन के ऑनलाइन रिकॉर्ड दर्ज कराने और ऋण पुस्तिका जारी करने के नाम पर रिश्वत लेने वाले पटवारी को निलंबित कर दिया गया है। किसान से 30 हजार रुपए लेने के बावजूद काम न करने पर उसने पटवारी का रिश्वत लेते हुए वीडियो बना लिया और एसडीएम से शिकायत कर दी। जांच के बाद आरोप सही पाए गए, जिसके बाद कार्रवाई की गई। रतनपुर के पचरा गांव के किसान केवलदास मानिकपुरी ने पटवारी अनिकेत साव (हल्का नंबर-1) से जमीन का ऑनलाइन रिकॉर्ड दर्ज कराने और ऋण पुस्तिका बनवाने के लिए आवेदन किया था। इसके बदले पटवारी ने 60 हजार रुपए की मांग की। किसान ने ब्याज पर कर्ज लेकर पहली किश्त के रूप में 30 हजार रुपए पटवारी को दिए और छिपकर रिश्वत लेते हुए वीडियो बना लिया। 26 दिसंबर 2024 को पैसे देने के बावजूद पटवारी ने काम नहीं किया और आचार संहिता व हड़ताल का बहाना बनाकर टालमटोल करता रहा।
इस दौरान किसान को अपने कर्ज का ब्याज भी चुकाना पड़ा, जिससे वह और परेशान हो गया था। थक हारकर केवलदास ने कोटा एसडीएम तन्मय खन्ना को रिश्वत का वीडियो सौंपकर शिकायत की। एसडीएम ने मामले की जांच तहसीलदार को सौंपी। जांच के दौरान वीडियो और सोशल मीडिया पर मौजूद सबूतों की पुष्टि हुई। पटवारी को अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया, लेकिन वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। इसके बाद उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।एसडीएम ने निर्देश दिए हैं कि पटवारी अनिकेत साव के कार्यकाल के दौरान किए गए सभी कामों की जांच की जाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसने और कितने लोगों से अवैध वसूली की है।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक पटवारी द्वारा रिश्वत लेने का मामला सामने आया है। रतनपुर तहसील के पचरा गांव के किसान केवलदास मानिकपुरी ने अपनी जमीन का ऑनलाइन रिकॉर्ड दर्ज कराने और ऋण पुस्तिका जारी करने के लिए पटवारी अनिकेत साव से संपर्क किया था। पटवारी ने इसके बदले 60,000 रुपये की रिश्वत की मांग की। किसान ने 26 दिसंबर 2024 को 30,000 रुपये की पहली किश्त पटवारी को दी, जिसका वीडियो भी बनाया। इसके बावजूद, पटवारी ने काम पूरा नहीं किया और विभिन्न बहाने बनाता रहा।
थक-हारकर, किसान ने कोटा के एसडीएम तन्मय खन्ना को रिश्वत का वीडियो सौंपकर शिकायत दर्ज कराई। जांच के दौरान आरोप सही पाए गए, जिसके बाद पटवारी अनिकेत साव को निलंबित कर दिया गया। एसडीएम ने निर्देश दिए हैं कि पटवारी के कार्यकाल के दौरान किए गए सभी कार्यों की जांच की जाए ताकि यह पता चल सके कि उसने और कितने लोगों से अवैध वसूली की है।
यह मामला सरकारी अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ की गई सख्त कार्रवाई का उदाहरण है, जो अन्य अधिकारियों के लिए एक चेतावनी के रूप में कार्य करेगा।