चीन के पुरातत्वविदों ने देश के पूर्वी प्रांत शांदोंग में 2,800 साल पुरानी एक किलेबंद दीवार के अवशेष खोजे हैं, जो चीन के पहले सम्राट के उदय से भी पुरानी मानी जा रही है। यह दीवार एक संकरे पहाड़ी दर्रे से होकर गुजरती है और इसका निर्माण पहली बार लगभग 800 ईसा पूर्व में किया गया था।
प्रारंभिक निर्माण के दौरान यह दीवार लगभग 33 फीट (10 मीटर) चौड़ी थी, लेकिन युद्धरत राज्यों की अवधि (475-221 ईसा पूर्व) के दौरान इसे और मजबूत करते हुए इसकी चौड़ाई बढ़ाकर 100 फीट (30 मीटर) कर दी गई थी। पुरातत्वविदों को इस क्षेत्र में घरों, सड़कों और खाइयों के अवशेष भी मिले हैं, जिससे संकेत मिलता है कि यह स्थान किसी समय एक सैन्य चौकी रहा होगा।
रेडियोकार्बन-डेटिंग से हुआ दीवार की उम्र का खुलासा
वैज्ञानिकों ने इस दीवार की सटीक उम्र जानने के लिए इसके निर्माण स्थल से मिले जानवरों की हड्डियों और पौधों के अवशेषों की रेडियोकार्बन-डेटिंग की। इस खोज ने चीन की महान दीवार के निर्माण के इतिहास को लगभग 300 साल पीछे ले जाने का दावा किया है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञ इस पर संदेह जता रहे हैं।
येरुशलम के हिब्रू विश्वविद्यालय में एशियाई अध्ययन के प्रोफेसर गिदोन शेलच-लावी ने कहा, “यह निश्चित रूप से चीन की महान दीवार नहीं है, बल्कि उस समय के राज्यों के बीच के संघर्षों का परिणाम हो सकती है।”
सैन्य रणनीति के तहत बनाई गई थी दीवार
विशेषज्ञों का मानना है कि यह दीवार उस समय बनाई गई थी, जब चीन कई छोटे राज्यों में बंटा हुआ था, जो अक्सर आपस में युद्ध करते थे। इसी तरह की एक दीवार “क्यूई की महान दीवार” के रूप में जानी जाती है, जो शेडोंग प्रांत से प्रशांत महासागर तक फैली थी, लेकिन हाल ही में खोजी गई दीवार उससे भी पुरानी बताई जा रही है।
यूरी पाइन्स, जो यरुशलम के हिब्रू विश्वविद्यालय में एशियाई अध्ययन के प्रोफेसर हैं, ने इसे “बहुत महत्वपूर्ण खोज” बताया और कहा कि यह दीवार एक रणनीतिक दर्रे को सुरक्षित करने के लिए बनाई गई थी। उन्होंने कहा, “यह खोज दर्शाती है कि उस समय भी सैन्य किलेबंदी की उन्नत रणनीतियाँ अपनाई जाती थीं।”
हालांकि, अभी भी पुरातत्वविदों द्वारा इस दीवार के महत्व और इसके निर्माण के पीछे के उद्देश्यों को लेकर गहन अध्ययन किया जा रहा है। यह खोज चीन के प्राचीन इतिहास और युद्ध संरचनाओं को समझने में एक महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।