कसडोल, छत्तीसगढ़: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जहां एक ओर पूरे प्रदेश में हलचल मची हुई है, वहीं ग्राम पंचायत कोट के ग्रामीणों ने अपने हक की मांग को लेकर ऐतिहासिक कदम उठाया है। नाराज ग्रामीणों ने पंचायत चुनाव का पूर्ण बहिष्कार कर दिया है। खास बात यह है कि ग्राम पंचायत कोट से किसी भी पद के लिए नामांकन दाखिल नहीं किया गया है।
तीन साल से खदान बंद कराने की मांग
ग्राम कोट के निवासियों की यह नाराजगी आशू क्रेशर खदान को लेकर है, जिसे बंद कराने की मांग वे पिछले तीन वर्षों से कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि खदान की वजह से जलस्तर काफी नीचे चला गया है, जिससे न केवल पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है, बल्कि खेती योग्य भूमि भी बंजर हो गई है।
आगे पढ़ेमुनादी कर किया चुनाव बहिष्कार का ऐलान
ग्रामीणों ने एक सप्ताह पहले ही पंचायत में मुनादी कर चुनाव बहिष्कार करने की घोषणा कर दी थी। इसके बाद प्रशासनिक अधिकारी ग्रामीणों को समझाने पहुंचे, लेकिन वे उनकी मांगों को हल करने में असफल रहे।
नामांकन दाखिल करने से किया इनकार
गांव के किसी भी व्यक्ति ने पंच, सरपंच, जनपद सदस्य और जिला पंचायत के किसी भी पद के लिए नामांकन दाखिल नहीं किया। ग्रामीणों ने मतदान नहीं करने के निर्णय पर भी अपनी अडिगता जताई है।
खदान की वजह से बढ़ी समस्याएं
गांव के लोगों का कहना है कि खदान की अत्यधिक गहराई के कारण पानी का स्तर बेहद नीचे चला गया है। साथ ही भारी ब्लास्टिंग के कारण मकानों को भी नुकसान पहुंच रहा है। इसके अलावा, खदान से उठने वाली धूल ने सैकड़ों हेक्टेयर कृषि भूमि को बंजर बना दिया है।
प्रशासन का रुख और ग्रामीणों की मांग
तहसीलदार विवेक पटेल ने पुष्टि की कि ग्राम कोट से पंचायत चुनाव के लिए किसी भी पद पर नामांकन दाखिल नहीं किया गया है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन ग्रामीणों की मांगों को लेकर क्या कदम उठाता है और क्या चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ पाएगी।
ग्राम कोट के इस चुनाव बहिष्कार ने सरकार और प्रशासन को एक बड़ा संदेश दिया है कि जनता अब अपनी समस्याओं की अनदेखी बर्दाश्त नहीं करेगी।
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