देश के विभिन्न मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने का चलन बढ़ता जा रहा है, जिससे श्रद्धालुओं को शालीनता बनाए रखने की सलाह दी जा रही है। हाल ही में मुंबई स्थित प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर ने भी भक्तों के लिए नए नियम जारी किए हैं, जिसके तहत मंदिर में शालीन और शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनने की सलाह दी गई है। इस नियम के तहत स्कर्ट और रिवीलिंग ड्रेस पहनकर आने वालों को मंदिर में प्रवेश नहीं मिलेगा।
यह ड्रेस कोड का चलन अकेले सिद्धिविनायक मंदिर तक ही सीमित नहीं है। दिसंबर 2024 में वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर और जनवरी 2024 में पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर ने भी श्रद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड लागू किया। महाकाल मंदिर, उज्जैन में भी इस तरह के नियम सितंबर 2023 से लागू हैं, जहां पुरुषों को धोती-सोला और महिलाओं को साड़ी पहनने की अनिवार्यता है।
भारत में सबसे पहले ड्रेस कोड लागू करने वाला मंदिर केरल का गुरुवायुर कृष्ण मंदिर है, जहां 15 साल पहले से ही यह नियम था। इस मंदिर में पुरुषों को पारंपरिक लूंगी पहनकर ही भगवान के दर्शन की अनुमति दी जाती है, जबकि महिलाओं को साड़ी या सूट पहनने की अनुमति है।