दिल्ली विधानसभा चुनाव में दो दिन का समय बाकी है, और राजनीतिक दल अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच कांटे की टक्कर की उम्मीद है, लेकिन कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए चुनावी समीकरण को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे सहित पार्टी के अन्य नेता अपने कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाने में जुटे हुए हैं। कांग्रेस ने 2015 और 2020 के चुनावों में अपनी पूरी ताकत खो दी थी, लेकिन इस बार पार्टी दलित और मुस्लिम वोटरों के ध्रुवीकरण की रणनीति पर काम कर रही है।
कांग्रेस की रणनीति: दलित और मुस्लिम वोटरों पर फोकस
कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी की तरह दलित और मुस्लिम वोटरों को एकजुट करने की योजना बनाई है। इसके तहत, मुस्लिम बहुल इलाकों में “वोट देना आप को, जैसा दूध पिलाना सांप” और दलित बहुल इलाकों में “एससी-एसटी की पीठ में किसने मारा खंजर” जैसे पर्चे बांटे जाएंगे। हालांकि, चुनाव आयोग की अनुमति न मिलने के कारण इन पर्चों पर कांग्रेस का नाम नहीं होगा।
आगे पढ़ेकांग्रेस ने अपनी रणनीति के तहत, दलित और मुस्लिम बहुल सीटों पर मजबूत वापसी की योजना बनाई है। दिल्ली में 12 मुस्लिम बहुल और 6 दलित बहुल सीटें हैं। 2015 और 2020 में आप ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई थी, लेकिन कांग्रेस इस बार इन क्षेत्रों में पुनः पकड़ बनाने का प्रयास कर रही है।
क्या कांग्रेस किंग मेकर बनेगी?
यदि कांग्रेस का यह फॉर्मूला सफल होता है, तो वह किंग मेकर की भूमिका में आ सकती है। हालांकि, इसका असली आकलन 8 फरवरी को चुनाव परिणामों के बाद ही किया जा सकेगा।
यह रणनीति कांग्रेस की दिल्ली में अपनी खोई हुई स्थिति को वापस पाने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है, और राजनीतिक विश्लेषक देख रहे हैं कि क्या यह फॉर्मूला काम करता है या नहीं।
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