मरही माता मंदिर छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था और चमत्कार का केंद्र माना जाता है। यह मंदिर बिलासपुर-कटनी रेल मार्ग के भनवारटंक स्टेशन के पास स्थित है और सालभर खुला रहता है। मंदिर की खासियत यह है कि यहां मातारानी की पूजा पंडित नहीं, बल्कि गांव का बैगा परिवार करता है।
मंदिर का इतिहास और मान्यता
1984 में इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस हादसे के बाद रेलवे और वन विभाग ने इस स्थान पर मरही माता की मूर्ति स्थापित की थी। इसके बाद एक छोटे से मंदिर का निर्माण हुआ। मान्यता है कि मरही माता के आशीर्वाद से इस क्षेत्र में रेल हादसे और अन्य आपदाओं से रक्षा होती है।
आगे पढ़ेनवरात्रि में विशेष आयोजन
नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और भंडारे का आयोजन किया जाता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि में यहां हजारों श्रद्धालु आते हैं। इस दौरान बलि की परंपरा पर रोक लगाई जाती है, और मंदिर का वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
मंदिर की अनोखी विशेषता
यहां से गुजरने वाली ट्रेनें मंदिर के सामने अपनी गति धीमी कर लेती हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए माता की महिमा का प्रतीक है। श्रद्धालु अपनी मन्नतों का नारियल मंदिर में बांधते हैं और मन्नत पूरी होने पर पूजन के लिए लौटते हैं।
मंदिर तक पहुंचने के साधन
श्रद्धालु मंदिर तक सड़क और रेल दोनों मार्गों से आसानी से पहुंच सकते हैं। भनवारटंक रेलवे स्टेशन मंदिर के पास स्थित है, जिससे यात्रा सुगम हो जाती है।
मरही माता मंदिर आस्था, परंपरा और चमत्कार का प्रतीक है, जहां श्रद्धालु अपनी मन्नतें लेकर आते हैं और माता के आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति पाते हैं।
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