रायपुर। भारतीय सड़क कांग्रेस के 83वें अधिवेशन में छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के 45 वर्षीय किसान गणेश वर्मा चर्चा में हैं। दरअसल, उन्होंने बांस से इको फ्रेंडली रोड-रेलवे सुरक्षा उपकरण तैयार किया है। इन्हें बाहु-बल्ली नाम दिया है। बांस से बने सुरक्षा उपकरणों से नेशनल हाइवे के 60 अलग-अलग स्थानों में 12 किमी से अधिक बंबू क्रैश बैरियर स्टाल कर दिया गया है।
रेलवे में 20 किमी से अधिक का फैंसी पोल और चार किमी से अधिक कैटल फेंस लगाई गई है। वंदे भारत ट्रेन रूट पर कैटल फेंस लगाए जाने का आर्डर दिया गया है। अधिवेशन में रायपुर पहुंचे केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गणेश वर्मा के स्टार्टअप का जिक्र करते हुए अधिक से अधिक बांस के उपकरणों का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक दो लाख 50 हजार टन से बने बांस के उपकरण 44 हजार टन स्टील के उपयोग को कम करेगा, इससे 80 हजार टन कार्बन कम होगा। बांस उत्पादन से एक लाख टन कार्बन डाई आक्साइड वातावरण से अवशोषित होगा। इतना ही नहीं, लोहे से बने सुरक्षा उपकरणों के लिए जो भी ईंधन का इस्तेमाल हाेता है उसकी भी बचत होती है। बांस के उपकरण बनाते समय काफी मात्रा में अनुपयोगी बांस बच जाता है, जिसका उपयोग बायो चारकोल बनाने में होता है। इस प्रक्रिया में काफी मात्रा में बायोविनेगर और बायोबीटूमिन का उत्पादन भी किया जाता है।
किसान ने भव्य सृष्टि उद्योग के नाम से स्टार्टअप शुरू किया और अब उनका टर्न ओवर 10 करोड़ तक पहुंच गया। जिस बांस का उपयोग सुरक्षा उपकरण बनाने में हो रहा है वह असम का बम्बुसा बालकोया प्रजाति का है। इसके लिए छत्तीसगढ़ में भी उपयुक्त जलवायु पाई गई है। गणेश ने अब किसानों से अनुबंध करना शुरू कर दिया है। दावा है कि जो किसान इस बांस का उत्पादन करेगा उसे प्रति एकड़ में डेढ़ लाख रुपये का लाभ मिलेगा।