शहर के स्कूलों में मारामारी अंचल में गिनती के आवेदन
राजनांदगांव। शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीट आरक्षित है। जिले में 293 निजी स्कूल हैं, जहां करीब बच्चों के लिए 4309 सीटें आरक्षित हैं। पहले चरण में 2636 बच्चों को स्कूलों का आवंटन कर दिया गया है। शहर के स्कूलों में प्रवेश के लिए बच्चों में मारामारी की स्थिति है। वहीं अंचल के निजी स्कूलों के लिए गिनती के ही आवेदन मिले हैं। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों के जिन स्कूलों में कम आवेदन आए हैं उन स्कूलों में इस बार भी आरटीई की सीटें खाली रह जाएंगी। शिक्षा विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में आरटीई का प्रचार-प्रसार बेहतर तरीके से नहीं कर पाया। यहीं कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों के लिए कम आवेदन आए।
दूसरी लाटरी के लिए टकटकी
शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने का सपना देख रहे पालकों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। दूसरे चरण की लाटरी दो अगस्त को निकलनी थी। लेकिन लेटलतीफी के चलते नहीं निकल पाई है। पालक अब दूसरी लाटरी निकालने का इंतजार कर रहे हैं। आरटीई के तहत पहले चरण की लाटरी में 2636 बच्चों को स्कूलों का आवंटन कर दिया है। सभी बच्चों को स्कूल में प्रवेश मिल गया है। निजी स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई भी शुरू हो गई है। पालक दूसरे चरण की लाटरी निकलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लाटरी निकलने के बाद करीब 15 दिन प्रवेश प्रक्रिया चलेगी। जिसके चलते बच्चे पढ़ाई में पिछड़ेंगे।
31 अगस्त तक चलेगी प्रक्रिया
जिले के 293 निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए 4309 सीटें आरक्षित हैं। 5024 आवेदन प्राप्त हुए थे। राज्य कार्यालय द्वारा प्रथम चरण की लाटरी में राजनांदगांव जिले को सम्मिलित करते हुए कुल 2636 बालकों का चयन निजी विद्यालयों में निश्शुल्क अध्ययन के लिए हुआ है। दूसरे लाटरी कब निकलेगी इसको लेकर विभाग स्पष्ट जानकारी नहीं दे पा रहा है। जिसके चलते पालक परेशान हैं। विभागीय अधिकारी दो-तीन दिनों के भीतर लाटरी निकलने का दावा कर रहे हैं। लाटरी निकलने के बाद 30 अगस्त तक प्रवेश प्रक्रिया चलेगी।
गणवेश-पाठ्य पुस्तक नहीं मिला
शहर के स्वामी आत्मानंद स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण हो गई है। पढ़ाई भी शुरू हो गई है। जिले में इस बार तीन नये आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खुले हैं, जहां भर्ती प्रक्रिया तेजी से पूर्ण की गई। यहीं कारण है कि स्वामी आत्मानंद स्कूलों में समय पर पढ़ाई शुरू हो गई। इन स्कूलों के बच्चों को गणवेश के साथ पाठ्यपुस्तक भी उपलब्ध करा दिया गया है। ताकि बच्चों को किसी भी प्रकार की परेशानियों का सामना न करना पड़े। वहीं सरकारी स्कूलों के बच्चों को अब तक गणवेश व पाठ्य पुस्तक नहीं मिल पाया है।
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