• 20-04-2024 09:13:42
  • Web Hits

Poorab Times

Menu

नक्सल हिंसा में बलिदान देने वाले 1,344 जवानों के स्वजन को 13 अगस्त को करेगी सम्मानित

छतीसगढ़ में पिछले एक वर्ष में नक्सलियों के पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी के 124 बड़े नक्सल कमांडर मारे गए हैं।

रायपुर । राज्य सरकार नक्सल मोर्चे पर सर्वोच्च बलिदान देने वाले जवानों के स्वजन को सम्मानित करेगी। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 22 वर्षों में राज्य में नक्सल मोर्चे पर 1,344 जवानों ने बलिदान दिया है। इनमें 802 छत्तीसगढ़ पुलिस के और 542 केंद्रीय बल के जवान हैं। राज्य सरकार पहली बार सभी बलिदानियों के स्वजन को एक साथ सम्मानित करेगी। राज्य के 32 जवानों ने सेना में रहते हुए देश की सीमा की रक्षा में प्राणों का बलिदान दिया। इन बलिदानी सैनिकों के स्वजन को सम्मानित करने के लिए 13 अगस्त को समारोह का आयोजन किया गया है।

छत्तीसगढ़ के नक्सल मोर्चे पर जवानों को पिछले कुछ वर्षों में बड़ी सफलता मिली है। पिछले एक वर्ष में नक्सलियों के पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी के 124 बड़े नक्सल कमांडर मारे गए हैं। इनमें से 69 को पुलिस ने मुठभेड़ में मारा है। इनमें महाराष्ट्र में मुठभेड़ में मारे गए मिलिंद तेलतुंबड़े, तेलंगाना के रामचंद्र रेड्डी आदि कमांडरों के नाम हैं। नक्सल संगठन में नेतृत्व का संकट उठ खड़ा हुआ है। शहीदी सप्ताह के समापन पर नक्सलियों ने पर्चा जारी कर इसकी जानकारी दी है।

छत्तीसगढ़ पुलिस के एंटी नक्सल आपरेशन के आला अधिकारियों की मानें तो वर्ष 2008 से लेकर 2018 तक राज्य में नक्सली हर साल 500 से लेकर 600 हिंसक घटनाओं को अंजाम देते थे, जो कि बीते साढ़े तीन वर्षों में घटकर औसतन 250 तक रह गए हैं। वर्ष 2022 में अब तक मात्र 134 नक्सल घटनाएं हुई हैं, जो कि 2018 से पूर्व घटित घटनाओं से लगभग चार गुना कम हैं। राज्य में 2018 से पूर्व नक्सली मुठभेड़ के मामले प्रतिवर्ष 200 के करीब हुआ करते थे, जो अब घटकर दहाई के आंकड़े तक सिमट गए हैं। वर्ष 2021 में राज्य में मुठभेड़ के मात्र 81 और वर्ष 2022 में अब तक 41 मामले हुए हैं।

नक्सलियों के आत्मसमर्पण के मामलों में आई तेजी

बीते साढ़े तीन वर्षों में 1,589 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। यह आंकड़ा 10 वर्षों में समर्पित कुल नक्सलियों की संख्या के एक तिहाई से अधिक है। बस्तर संभाग के 589 गांवों के पौने छह लाख ग्रामीण नक्सलियों के प्रभाव से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। इनमें सर्वाधिक 121 गांव सुकमा जिले के हैं। दंतेवाड़ा जिले के 118 गांव, बीजापुर जिले के 115 गांव, बस्तर के 63 गांव, कांकेर के 92 गांव, नारायणपुर के 48 गांव और कोंडागांव के 32 गांव नक्सल प्रभाव से मुक्त हुए हैं।

इधर, सियासी बोल से चढ़ा राजनीतिक पारा

नक्सलियों को लेकर कांग्रेस और भाजपा नेताओं के सियासी बोल से प्रदेश का राजनीतिक पारा चढ़ गया है। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अजय चंद्राकर ने बस्तर में नक्सलियों के जमावड़े को लेकर ट्वीट किया कि नक्सलियों ने पिछले 10'5 वर्षों में सबसे बड़ा आयोजन बस्तर में किया है। उन्होंने तंज कसा कि नक्सली न गेड़ी चढ़े, न बासी खाए, एके-47 लहराए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चुनौती देते हुए चंद्राकर ने कहा कि अगर आपकी रीढ़ में हड्डी है, तो कुछ करके दिखाइए। इसके जवाब में कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने के बाद 80 फीसद नक्सली वारदात कम हुई है। भाजपा राज में तो पुलिस के शीर्ष अधिकारियों को तनख्वाह लेकर चुप बैठने की सीख दी जाती थी। भाजपा राज में नक्सलियों ने 14 जिलों में पैर पसार लिया था, लेकिन भूपेश सरकार में कोंडागांव को नक्सल मुक्त घोषित किया गया है।

Add Rating and Comment

Enter your full name
We'll never share your number with anyone else.
We'll never share your email with anyone else.
Write your comment
CAPTCHA

Your Comments

Side link

Contact Us


Email:

Phone No.