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Wednesday, February 5, 2025
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तेजी से ऊंचाई बढ़ने का रहस्य : मासिक धर्म की शुरुआत में!

नई दिल्ली: किशोरावस्था में मासिक धर्म की शुरुआती शुरुआत का संबंध लड़कियों की ऊंचाई में वृद्धि से है। एक नए अध्ययन के अनुसार, जिन लड़कियों को पहली बार मासिक धर्म 12 वर्ष की उम्र से पहले हुआ, उनमें सामान्य से कहीं अधिक लंबाई बढ़ने की संभावना पाई गई है। इस अध्ययन में लगभग 800 महिलाओं का स्वीडन में जन्म से लेकर वयस्कता तक अनुसरण किया गया, जिसमें उनकी किशोरावस्था के दौरान शारीरिक विकास पर ध्यान दिया गया।

स्वीडन की गॉथेनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन में यह पाया गया कि जिन लड़कियों को मासिक धर्म की शुरुआत 12 वर्ष या उससे पहले होती है, वे लगभग 13 सेंटीमीटर तक लंबी होती हैं। वहीं, जिन लड़कियों को 14 वर्ष की उम्र के आस-पास मासिक धर्म शुरू होता है, उनकी ऊंचाई में वृद्धि केवल तीन सेंटीमीटर तक सीमित रहती है।

यह अध्ययन मासिक धर्म की शुरुआत और ऊंचाई में वृद्धि के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध को दर्शाता है। इससे पहले माना जाता था कि मासिक धर्म के शुरू होने के बाद लड़कियां 6-8 सेंटीमीटर तक ही बढ़ती हैं, लेकिन इस नए शोध ने इस धारणा को चुनौती दी है। अध्ययन में पाया गया कि सभी लड़कियों में यह बढ़त समान नहीं होती, और इस पर मासिक धर्म की उम्र का महत्वपूर्ण प्रभाव होता है।

मासिक धर्म और शारीरिक विकास का संबंध

मासिक धर्म की शुरुआत किशोरावस्था में लड़कियों के शारीरिक और हार्मोनल परिवर्तनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस प्रक्रिया में शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन की भूमिका बढ़ जाती है, जो कि शारीरिक विकास, खासकर हड्डियों और मांसपेशियों के विकास में सहायक होते हैं। जब मासिक धर्म की शुरुआत पहले होती है, तो शरीर में हार्मोनल बदलाव जल्दी शुरू हो जाते हैं, जिससे हड्डियों और मांसपेशियों की विकास प्रक्रिया भी जल्दी तेज होती है।

हालांकि, यह अध्ययन इस बात पर जोर देता है कि सभी लड़कियों में यह प्रक्रिया समान नहीं होती। अध्ययन के आंकड़ों से पता चलता है कि जिन लड़कियों को मासिक धर्म 12 वर्ष की उम्र से पहले शुरू होता है, वे सामान्य से अधिक लंबाई प्राप्त करती हैं। जबकि जिन लड़कियों में मासिक धर्म की शुरुआत 14 वर्ष के बाद होती है, वे अपेक्षाकृत कम लंबी होती हैं।

अध्ययन का महत्व और इसके निष्कर्ष

गॉथेनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अध्ययन इस पर व्यापक जानकारी प्रदान करता है कि मासिक धर्म की शुरुआत का शारीरिक विकास पर कैसा प्रभाव पड़ता है। पहले से फैली इस धारणा कि मासिक धर्म के बाद लड़कियों में 6-8 सेंटीमीटर की ऊंचाई वृद्धि होती है, इस अध्ययन में आंशिक रूप से खारिज कर दी गई है। अध्ययन में यह पाया गया कि केवल 50% लड़कियां ही इस सीमा तक बढ़ पाती हैं। जबकि अन्य लड़कियों में यह वृद्धि कहीं अधिक या कम हो सकती है, और यह काफी हद तक मासिक धर्म की शुरुआत की उम्र पर निर्भर करता है।

शारीरिक और मानसिक विकास पर प्रभाव

किशोरावस्था में शारीरिक विकास लड़कियों के मानसिक स्वास्थ्य और आत्म-सम्मान पर भी असर डालता है। जिन लड़कियों में मासिक धर्म की शुरुआत जल्दी होती है और जो अधिक लंबी होती हैं, उनमें आत्मविश्वास का स्तर भी बढ़ता है। वहीं, देर से मासिक धर्म शुरू होने वाली लड़कियों में शारीरिक विकास धीमा हो सकता है, जिससे उन्हें मानसिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

यह अध्ययन इस दिशा में भी महत्वपूर्ण है कि यह चिकित्सकों और माता-पिता को इस बारे में जानकारी देता है कि मासिक धर्म की शुरुआत के बाद शारीरिक विकास को किस तरह समझा जा सकता है और किस तरह से किशोरियों के विकास को बेहतर तरीके से संभाला जा सकता है।

मासिक धर्म की शुरुआत और ऊंचाई में वृद्धि: अध्ययन के आँकड़े

अध्ययन में शामिल लगभग 800 महिलाओं पर किए गए इस शोध ने महत्वपूर्ण आंकड़े प्रस्तुत किए हैं। जिन लड़कियों में मासिक धर्म की शुरुआत 12 वर्ष की उम्र से पहले हुई, उनमें औसतन 13 सेंटीमीटर की ऊंचाई वृद्धि पाई गई। वहीं, जिन लड़कियों में मासिक धर्म की शुरुआत 14 वर्ष की उम्र में या इसके बाद हुई, उनमें केवल 3 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई।

यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि मासिक धर्म की उम्र का शारीरिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। इस अध्ययन के नतीजे यह भी बताते हैं कि प्रत्येक लड़की के विकास का पैटर्न अलग हो सकता है और इसे किसी एक सामान्य नियम के तहत नहीं रखा जा सकता।

अध्ययन के निष्कर्ष और आगे के शोध की दिशा

इस अध्ययन के परिणाम विशेष रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण हो सकते हैं। यह शोध डॉक्टरों और अन्य चिकित्सा विशेषज्ञों को इस बात की जानकारी देता है कि मासिक धर्म की उम्र का किशोरियों के शारीरिक विकास पर गहरा प्रभाव होता है। इस अध्ययन से यह समझने में भी मदद मिलती है कि शारीरिक विकास का पैटर्न प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग हो सकता है, और इसे किसी एक सामान्य दिशा में नहीं बांधा जा सकता।

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