धमतरी का मुरूमसिल्ली बांध: एशिया का पहला स्वचालित स्पिलवे सायफन सिस्टम
मुरूमसिल्ली बांध, जो छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में स्थित है, प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व का बेजोड़ उदाहरण है। यह महानदी की सहायक नदी सिलियारी पर स्थित है और धमतरी मुख्यालय से 28 किमी दक्षिण में मुरूमसिल्ली गांव के पास बना है। इस बांध की खासियत इसका एशिया में पहला स्वचालित स्पिलवे सायफन सिस्टम है, जिसे सिविल इंजीनियरिंग की पाठ्यपुस्तकों में उल्लेखित किया गया है।
विशिष्ट निर्माण तकनीक
1914-1924 के बीच निर्मित इस बांध का डिज़ाइन अत्यंत उन्नत और अद्वितीय था। इसमें 34 स्वचालित सायफन सिस्टम हैं, जो पानी के स्तर बढ़ने पर स्वतः ही चालू हो जाते हैं। इसके साथ ही इसमें बेबी सायफन भी लगे हुए हैं, जो मुख्य सायफन को सहायता प्रदान करते हैं। यह प्रणाली न केवल जल निकासी में उत्कृष्ट है, बल्कि यह बांध को देखने लायक खूबसूरती भी प्रदान करती है।
इतिहास और महत्व
- मुरूमसिल्ली बांध का निर्माण ब्रिटिश शासनकाल में हुआ था।
- इसे बाबू छोटेलाल श्रीवास्तव बांध के नाम से भी जाना जाता है।
- यह 102 साल पुराना बांध अब भी पूरी तरह से कार्यरत है।
- 1978-79 में रविशंकर जलाशय के निर्माण के बाद इसे पूरक जलाशय के रूप में उपयोग किया जाने लगा।
पर्यटन के लिए आकर्षण
बारिश के मौसम में जब बांध लबालब भर जाता है और सायफन सिस्टम सक्रिय होता है, तो यहां का दृश्य मनमोहक हो जाता है। पानी के गिरने की प्रक्रिया एक अद्भुत प्राकृतिक झरने का रूप ले लेती है, जो पर्यटकों को आकर्षित करती है।
आसान पहुँच
यह बांध धमतरी शहर से मात्र 28 किमी की दूरी पर स्थित है, जो इसे पर्यटकों के लिए आसानी से सुलभ बनाता है।
मुरूमसिल्ली बांध न केवल इंजीनियरिंग का एक अद्भुत नमूना है, बल्कि यह पर्यटन और अध्ययन के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल है।