कोलकाता में कई प्राचीन मंदिर स्थित हैं. यहां के मंदिरों में भक्तों की असीम आस्था है. देश ही नहीं विदेश से भी लोग इन मंदिरों में दर्शनार्थ के लिए आते हैं. कोलकाता का ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर है काली मंदिर, इसे कालीघाट के नाम से भी जाना जाता है. 51 शक्तिपीठों में से एक कालीघाट मंदिर को भारत का सबसे सिद्ध काली मंदिर कहा जाता है. इस शक्तिपीठ में स्थित प्रतिमा की प्रतिष्ठा कामदेव ब्रह्मचारी ने की थी. इस मंदिर की भक्तों के बीच काफी महत्वता है. हर साल बड़ी संख्या में देवी के भक्त मंदिर में दर्शनों के लिए आते हैं.51 शक्तिपीठों में से एक है कालीघाट मंदिर
1. स्थान और महत्व:
- कालीघाट मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जहाँ देवी सती के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था।
- यह मंदिर देवी काली की प्रचंड रूप की प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें देवी काली भगवान शिव की छाती पर पैर रखे हुए हैं।
2. इतिहास:
- कालीघाट मंदिर का निर्माण 1809 में हुआ था, और इसे सबर्ण रॉय चौधरी नाम के व्यापारी के सहयोग से बनाया गया था।
- गुप्त वंश के सिक्के भी मंदिर में मिले हैं, जो दर्शाते हैं कि यहाँ प्राचीन काल से श्रद्धालुओं का आना-जाना था।
3. प्रतिमा का वर्णन:
- देवी काली की प्रतिमा में उनके गले में नरमुंडों की माला है, हाथ में कुल्हाड़ी और नरमुंड हैं, और जीभ स्वर्ण से बनी हुई है, जो रक्त की बूंदें टपका रही है।
4. भौगोलिक स्थिति:
- कालीघाट मंदिर पहले हुगली नदी (भागीरथी) के किनारे स्थित था, लेकिन समय के साथ यह आदिगंगा नहर के किनारे चला गया है।
5. कैसे पहुँचें:
- कालीघाट मंदिर तक हवाई और ट्रेन के माध्यम से पहुँचा जा सकता है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से यह लगभग 25 किमी दूर है, जबकि हावड़ा जंक्शन से इसकी दूरी महज 10 किमी है।
इस प्रकार, कालीघाट मंदिर कोलकाता का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहाँ श्रद्धालु न केवल आस्था व्यक्त करते हैं, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव भी करते हैं।