रायपुर। छत्तीसगढ़ के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है। यह राज्य के पर्यटन और जैव विविधता संरक्षण के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है। अधिकारियों ने बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि यह उद्यान अपनी समृद्ध जैव विविधता, पुरातात्विक महत्व और अनूठे पारिस्थितिकी तंत्र के कारण इस प्रतिष्ठित सूची में स्थान पाने में सफल हुआ है।
स्थायी धरोहर का दर्जा मिलने की उम्मीद
दिसंबर 2023 में छत्तीसगढ़ सरकार और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस उद्यान को वैश्विक पहचान दिलाने की योजना बनाई थी। विशेषज्ञों द्वारा किए गए गहन अध्ययन के बाद इसे यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा गया, जिसे अब मंजूरी मिल गई है। अधिकारियों के अनुसार, यह पहली बार है जब छत्तीसगढ़ का कोई स्थल यूनेस्को की सूची में शामिल हुआ है। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में इसे स्थायी विश्व धरोहर का दर्जा भी मिल सकता है।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस सफलता पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “कांगेर घाटी का यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल होना राज्य के लिए गर्व की बात है। इससे पर्यटन और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। हम अपनी धरोहरों के संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे।”
क्यों खास है कांगेर घाटी?
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान केवल जंगल नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहर है। यह 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और इसका नाम कांगेर नदी से लिया गया है। इस उद्यान में 15 से अधिक रहस्यमयी चूना पत्थर की गुफाएं हैं, जिनमें कोटमसर, कैलाश और दंडक गुफाएं प्रमुख हैं। ये गुफाएं न केवल भूवैज्ञानिक चमत्कार हैं, बल्कि पुरातात्विक महत्व भी रखती हैं।
इस उद्यान में वन्यजीवों की भी भरपूर विविधता देखने को मिलती है। यहां ऊदबिलाव, माउस डियर, जायंट गिलहरी, लेथिस सॉफ्टशेल कछुआ और जंगली भेड़िया जैसे दुर्लभ प्राणी पाए जाते हैं। पक्षियों की 200 से अधिक प्रजातियां, 900 से अधिक वनस्पतियां और 140 से अधिक तितलियों की प्रजातियां भी यहां मौजूद हैं।
यूनेस्को की अस्थायी सूची का महत्व
यूनेस्को की अस्थायी सूची उन स्थलों की प्राथमिक सूची होती है, जिन्हें भविष्य में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया जा सकता है। कांगेर घाटी का इस सूची में शामिल होना पहला और महत्वपूर्ण कदम है। अगर इसे स्थायी विश्व धरोहर स्थल का दर्जा मिल जाता है, तो यह न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात होगी।
अधिकारियों का मानना है कि इस उपलब्धि से न केवल जंगल बल्कि आसपास के गांवों को भी लाभ होगा, जिससे स्थानीय पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।