उत्तर भारत मे मां वैष्णो देवी सबसे प्रसिद्ध सिद्धपीठ है जम्मू-कश्मीर राज्य के जम्मू जिले में कटरा नगर में स्थित वैष्णो देवी मंदिर का निर्माण लगभग 700 साल पहले एक ब्राह्मण पुजारी पंडित श्रीधर द्वारा कराया गया था. मंदिर 5,200 फ़ीट की ऊंचाई पर, कटरा से लगभग 12 किलोमीटर (7.45 मील) की दूरी पर स्थित है. हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता वैष्णो देवी को शक्ति की देवी माना जाता है, जो माता महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती के अवतार हैं।
वैष्णो माता का इतिहास
भूवैज्ञानिकों की ओर से किए गए अध्ययन के अनुसार माता वैष्णो देवी का मंदिर काफी प्राचीन है. माना जाता है कि माता वैष्णो देवी ने त्रेता युग में माता पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी के रूप में मानव जाति के कल्याण के लिए एक सुंदर राजकुमारी के रूप में अवतार लिया था. और त्रिकुटा पर्वत पर गुफा में तपस्या की. जब समय आया, उनका शरीर तीन दिव्य ऊर्जाओं के सूक्ष्म रूप में विलीन हो गया- महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती.
माता वैष्णो देवी के एक बड़े भक्त जो लगभग सात शताब्दी पहले रहते थे. श्रीधर और उनकी पत्नी देवी मां को पूरी तरह से समर्पित थे. जहां एक बार श्रीधर को एक बार सपने में दिव्य के जरिए भंडारे करने का आदेश मिला. लेकिन श्रीधर खराब आर्थिक स्थिती के चलते इस बात से चिंतत थे कि वो ये आयोजन कैसे करेंगे. जिसकी चिंता में वे पूरी रात जगे रहें. और फिर सब किस्मत पर छोड़ दिया. सुबह होने पर लोग वहां प्रसाद ग्रहण करने के लिए आने शुरू कर दिए. जिसके बाद उन्होंने देखा कि वैष्णो देवी के रूप में एक छोटी से कन्या उनके कुटिया में पधारी हैं. उनके साथ भंडारा तैयार किया.
और गांव वालों को परोसा. इस प्रसाद को ग्रहण करने के बाद लोगों को संतुष्टि मिली लेकिन वहां मौजूद भैरवनाथ को नहीं उसने अपने जानवरों के लिए और खाने की मांग की. लेकिन वहां वैष्णो देवी के रूप में एक छोटी कन्या ने श्रीधर की ओर से इसके लिए इंकार कर दिया. जिसके बाद भैरवनाथ ये अपमान सह नहीं पाया. और भैरों ने दिव्य लड़की को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन ऐसा करने में विफल रहा. और लड़की गायब हो गई. इस घटना के बाद श्रीधर दुखी हो गए.
उन्होंने अपनी मां के दर्शन करने की लालसा थी. जिसके बाद एक रात, वैष्णो माता ने श्रीधर के सपने में दर्शन दिए और उन्हें त्रिकुटा पर्वत पर एक गुफा का रास्ता दिखाया, जिसमें उनका प्राचीन मंदिर हैं. श्रीधर ने बताए गई बातों के अनुसार, पवित्र तीर्थ की खोज की और अपना जीवन उनकी सेवा में समर्पित कर दिया. जिसके बाद से ही ये मंदिर दुनियाभर में माता वैष्णो देवी के नाम से जाने जाना लगा.
माता वैष्णो देवी मंदिर की धार्मिक मान्यता
माना जाता है कि माता वैष्णो देवी मानवता का कल्याण करने के लिए इस स्थान पर निवास करती हैं। पुराणों के अनुसार, माता ने इस स्थान को चुना था ताकि वह अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा कर सकें। यह भी कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से माता के दर्शन करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
दर्शन का तरीका और तीर्थ यात्रा
कटरा से माता के पवित्र गुफा मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 13 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है। कटरा में वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड द्वारा हेलीकॉप्टर सेवा भी प्रदान की जाती है जो यात्रा को आसान बना देती है। मार्ग में भक्तों के आराम के लिए कई स्थान बनाए गए हैं। गुफा के अंदर स्थित तीन पिंडियां (प्राकृतिक रूप से बनी संरचनाएं) माता महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती का प्रतीक मानी जाती हैं।
श्रद्धालुओं की संख्या
वैष्णो देवी मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। वार्षिक आधार पर यहाँ करोड़ों भक्त आते हैं। त्योहारों और नवरात्रि के समय यहां दर्शन करने वालों की संख्या और भी अधिक हो जाती है, और इस दौरान विशेष व्यवस्थाएँ भी की जाती हैं।
माता वैष्णो देवी का मंदिर एक प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहाँ हर धर्म, जाति और पंथ के लोग माता का आशीर्वाद लेने आते हैं।
माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए जम्मू-कश्मीर के कटरा तक पहुंचना होता है, जो भारत के प्रमुख शहरों से रेल, बस, और हवाई मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा है।
कटरा कैसे पहुंचे:
- हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा जम्मू हवाई अड्डा है, जो कटरा से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जम्मू हवाई अड्डे से कटरा तक टैक्सी या बस से यात्रा की जा सकती है।
- रेल मार्ग: श्री माता वैष्णो देवी कटरा रेलवे स्टेशन देश के कई प्रमुख रेलवे स्टेशनों से सीधे जुड़ा हुआ है। यहां पहुंचने के लिए दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों से सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।
- सड़क मार्ग: जम्मू और कटरा से जुड़े कई राष्ट्रीय राजमार्ग हैं, जिनके माध्यम से देश के विभिन्न शहरों से यहां बस या निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है। जम्मू और कटरा के बीच बस सेवा भी उपलब्ध है, जो यात्रियों के लिए एक किफायती विकल्प है।
कटरा से वैष्णो देवी मंदिर तक:
कटरा से मंदिर तक लगभग 13 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है। इस यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए श्रद्धालुओं के लिए कई सुविधाएँ उपलब्ध हैं:
- पैदल मार्ग: कटरा से मंदिर तक के रास्ते में खाने-पीने की दुकानें, शौचालय, और विश्राम स्थान हैं।
- हेलीकॉप्टर सेवा: कटरा से संजीछत तक हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध है, जो यात्रा को आसान और कम समय में पूरा करने का एक विकल्प है।
- खच्चर और पालकी: जो भक्त पैदल यात्रा नहीं कर सकते, उनके लिए खच्चर और पालकी की सुविधा भी उपलब्ध है।
- बैटरी कार: अर्धकुंवारी से भवन तक के कुछ हिस्से में बैटरी कार सेवा भी उपलब्ध है।
रुकने की सुविधाएँ:
- श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के आवास: श्राइन बोर्ड द्वारा कटरा और भवन में कई धर्मशालाएँ और गेस्ट हाउस बनाए गए हैं। इनमें बुकिंग श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट या कटरा स्थित बुकिंग कार्यालय से की जा सकती है।
- होटल्स और लॉज: कटरा में विभिन्न बजट के होटलों की भरमार है। यहां आप अपने बजट के अनुसार होटल चुन सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रसिद्ध विकल्प होटल बैलीव्यू, होटल वरदाना, होटल जगदंबिका पैलेस आदि हैं।
- धर्मशालाएँ: कटरा में कई धर्मशालाएँ भी उपलब्ध हैं जो कि एक किफायती विकल्प हो सकती हैं।
यात्रा का सर्वश्रेष्ठ समय
वैष्णो देवी यात्रा के लिए अक्टूबर से मार्च का समय अनुकूल माना जाता है, जब मौसम ठंडा और सुहावना रहता है। हालांकि, नवरात्रि के समय यहां विशेष आयोजन होते हैं और श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।
यात्रा पर जाने से पहले श्राइन बोर्ड की वेबसाइट से संपर्क करना या कटरा में स्थानीय जानकारी लेना मददगार हो सकता है ताकि आपके ठहरने और यात्रा में कोई असुविधा न हो।