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छतीसगढ़ का शिमला कहलता है मैनपाट

छत्तीसगढ़ के शिमला कहे जाने वाले सरगुजा (Ambikapur) के मैनपाट सुंदर वादियां, खुशनुमा वातावरण और ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरा, विभिन्न संस्कृतियों का संगम स्थल स्थल हैं। जहां पहुंचते ही आपको जो लोक में न मिलता हो ऐसा शांति की प्राप्ति होती हैं। मैनपाट के नयनाभिराम दृश्य स्वयं ही सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहां चारों ओर फैली हरियाली, घुमावदार सड़के, मन को असीम शीतलता प्रदान करने वाले जलप्रपात, अचंभित करने वाले प्राकृतिक दृश्य और दूर-दूर तक फैला पाट क्षेत्र हैं। 

सरगुजा जिला के मैनपाट विन्धपर्वत माला पर स्थित हैं। जिसकी समुद्र सतह से ऊंचाई 3781 फीट हैं। इसकी लम्बाई 28 किलोमीटर और चौडाई 10 से 13 किलोमीटर हैं। राजधानी रायपुर से अम्बिकापुर की दूरी लगभग 365 किमी हैं। वहीं, अम्बिकापुर से मैनपाट की दूरी लगभग 50 किमी हैं। यहां की जलवायु के कारण मैनपाट को छत्तीसगढ का शिमला कहा जाता हैं। प्राकृतिक सम्पदा से भरपूर यहां बौद्ध मंदिर, सरभंजा जल प्रपात, टाईगर प्वांइट तथा मछली प्वांइट प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। अम्बिकापुर से मैनपाट जाने के लिए दो रास्ते है पहला रास्ता अम्बिकापुर-सीतापुर रोड से होकर जाता और दूसरा ग्राम दरिमा होते हुए मैनपाट तक जाता हैं।

मैनपाट पर्यटन स्थल कब आएं-

वैसे तो मैनपाट का मौसम वर्षभर खुशनुमा होता हैं। लेकिन, नवम्बर से जनवरी के मध्य सर्दियों के मौसम में मैनपाट की खूबसूरती और बढ़ जाती हैं। बारिश के बाद झरनों की सुंदरता, चारों ओर खेतों में लहराती हुई टाऊ की फसल दर्शनीय होती हैं। इसलिए ये मौसम मैनपाट में सैर करने के लिए सबसे अच्छा मौसम हैं।

यहां कैसे पहुंचे –

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हैं। राज्य के बाहर के सैलानी हवाई मार्ग, रेलमार्ग तथा सड़क मार्ग से भी रायपुर पहुंच सकते हैं। यहां रेलमार्ग से अम्बिकापुर पहुंचकर फिर सड़क मार्ग से मैनपाट जाया जा सकता हैं। मैनपाट पहुंचने के लिए टैक्सी एवं बस आसानी से यहां उपलब्ध हो जाते हैं।

कहां रुकने की ये हैं सुविधा-

मैनपाट में रुकने के लिए छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड द्वारा निर्मित रिजॉर्ट शैला और करमा हैं। इसके साथ ही, यहां निजी होटल एवं रिजॉर्ट भी हैं। जहां पर्यटक अपनी सुविधा अनुसार ठहर सकते हैं।

मैनपाट के पर्यटन स्थल –

बौद्ध मंदिर (buddhist temple) –

मैनपाट से ही रिहन्द एवं मांड नदी का उदगम हुआ हैं। इंडो-चाइना वार के बाद 1962-63 में तिब्बती शरणार्थियों को मैनपाट में बसाया गया। यहां तिब्बती लोगों का जीवन एवं बौद्ध मंदिर आकर्षण का केन्द्र हैं। इसलिए इसे मिनी तिब्बत भी कहा जाता हैं।

टाइगर प्वाइंट (Tiger Point) –

मैनपाट के महत्वपूर्ण प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट में टाइगर प्वाइंट का अपना विशेष महत्व हैं। टाइगर प्वाइंट एक खूबसूरत प्राकृतिक झरना हैं। जिसमें पानी इतनी तेजी से गिरता हैं कि, शेर के गरजने जैसी आवाज आती हैं। चारों तरफ घनघोर जंगलों के बीच पहाड़ से गिरता हुआ झरना बहुत ही आकर्षक लगता हैं।

उल्टापानी (Upside Down Water)-

मैनपाट के बिसरपानी गांव में उल्टापानी जगह हैं। छत्तीसगढ़ की सबसे ज्यादा अचंभित और हैरान करने वाला दर्शनीय स्थल हैं। यहां पर पानी का बहाव नीचे की तरफ न होकर ऊपर यानी ऊँचाई की ओर होता हैं। यहां सड़क पर खड़ी न्यूट्रल चारपहिया गाड़ी 110 मीटर तक गुरूत्वाकर्षण के विरूद्ध पहाड़ी की ओर अपने आप लुढ़कती हैं।

जलजली (Jaljali Point)-

मैनपाट में प्रकृति के नियमों से दूर जलजली वह पिकनिक स्पॉट हैं। जहाँ दो से तीन एकड़ जमीन काफी नर्म हैं और इसमें कूदने से धरती गद्दे की तरह हिलती हैं। आस-पास के लोगों के मुताबिक कभी यहां जल स्त्रोत रहा होगा, जो समय के साथ उपर से सूख गया हैं तथा आंतरिक जमीन दलदली रह गई। इसी वजह से यह जमीन दलदली व स्पंजी लगती हैं।
 

फिश प्वाइंट (Fish Point) – 

मैनपाट में पर्यटकों के लिए जंगलों के बीच एक रोमांचकारी और मन को लुभाने वाला मशहूर जगह फिश प्वाइंट (मछली) स्थित हैं। यह भी एक जलप्रपात हैं।

मेहता प्वाइंट (Mehta Point) –

मैनपाट में स्थित मेहता प्वाइंट ऊंची पहाडियां, गहरी घाटियां तथा वन मनोरम दृश्यों से भरपूर हैं। मैनपाट आने वाले पर्यटक सुंदर व्यू का आनन्द लेने के लिए इस पिकनिक स्पॉट में अवश्य पहुंचते हैं।

ठिनठिनी पत्थर (Tinkling Stone) –

अम्बिकापुर के 12 किमी. की दुरी पर दरिमा हवाई अड्डा हैं। दरिमा हवाई अड्डा के पास बडे-बडे पत्थरो का समुह हैं। इन पत्थरों को किसी ठोस चीज से ठोकने पर आवाजे आती हैं। सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात यह हैं कि, ये आवाजे विभिन्न धातुओं की आती हैं। इनमें से किसी- किसी पत्थर खुले बर्तन को ठोकने के समान आवाज आती हैं। इस पत्थरों में बैठकर या लेटकर बजाने से भी इसके आवाज मे कोइ अंतर नही पडता हैं। एक ही पत्थर के दो टुकडे अलग-अलग आवाज पैदा करते हैं। पत्थरों की इस अनोखापन के कारण इस पत्थरों को स्थानीय लोग ठिनठिनी पत्थर कहते हैं।

जलपरी प्वाइंट (Jalpari Point) –

इसके अतिरिक्त यहां बूढ़ा नागदेव जलप्रपात हैं जिसे जलपरी प्वाइंट भी कहते हैं। प्रकृति की गोद में बसे इस जलप्रपात तक पहुंचते ही सारी थकान दूर हो जाती हैं

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