पिछले कई हफ्तों में मैंने मज़ेदार शायरिया , जोश भर देने वाली व मंच संचालन के वक़्त बोली जा सकने वाली
शायरियों के संकलन को आपके सामने प्रस्तुत किया था . फिर दिल के जज़्बों को इज़हार करती कुछ मिली जुली
शायरियां भी . इस बार दोस्ती पर शायरियां जो कि दिल के जज़्बों को इज़हार करती हैं – मधुर चितलांग्या
दिल तोड़ना सजा है मुहब्बत की ,
दिल जोड़ना अदा है दोस्ती की
मांगे जो कुर्बानियां वो है मुहब्बत ,
मांगे जो कुर्बानियां वो है मुहब्बत ,
और जो बिन मांगे कुर्बान हो जाये वो है दोस्ती
शर्तें रक्खी़ जाती नही दोस्ती के साथ
शर्तें रक्खी़ जाती नही दोस्ती के साथ
कीजिये मुझे कबूल मेरी हर कमी के साथ
दिन हुआ है तो रात भी होगी..हो मत उदास, कभी बात भी होगी..
दिन हुआ है तो रात भी होगी..हो मत उदास, कभी बात भी होगी..
इतने प्यार से दोस्ती की है.. जिन्दगी रही तो मुलाकात भी होगी..
तुम मुझसे दोस्ती का मोल ना पूछना कभी…
तुम मुझसे दोस्ती का मोल ना पूछना कभी…
तुम्हें किसने कहा कि पेड़ छाँव बेचते हैं…
कितनी नन्हीं सी, परिभाषा है दोस्ती की …
कितनी नन्हीं सी, परिभाषा है दोस्ती की …
मैं शब्द, तुम अर्थ, तुम बिन, मैं व्यर्थ…
अपनी दोस्ती का बस इतना सा असूल है,
अपनी दोस्ती का बस इतना सा असूल है,
जो तू कुबूल है…. तो तेरा सब कुछ कबूल है..
कौन कहता है कि दोस्ती बराबरी में होती है
कौन कहता है कि दोस्ती बराबरी में होती है
सच तो ये है दोस्ती में सब बराबर होते है..
यूं लगे दोस्त तेरा मुझसे ख़फा हो जाना
यूं लगे दोस्त तेरा मुझसे ख़फा हो जाना
जिस तरह फूल से ख़ुश्बू का जुदा हो जाना
सच्चे दोस्त हमे कभी गिरने नहीं देते,
सच्चे दोस्त हमे कभी गिरने नहीं देते,
ना किसी कि नजरों मे, ना किसी के कदमों मे..
देखी जो नब्ज मेरी, हँस कर बोला वो हकीम,
देखी जो नब्ज मेरी, हँस कर बोला वो हकीम,
जा जमा ले महफिल पुराने दोस्तों के साथ..
तेरे हर मर्ज की दवा वही है ….
वातावरण को जो महका दे उसे ‘इत्र’ कहते हैं,
वातावरण को जो महका दे उसे ‘इत्र’ कहते हैं,
जीवन को जो महका दे उसे ही ‘मित्र’ कहते हैं..
साथियों , अगले हफ्ते फिर किसी अलग मिजाज़ पर शायरी का संकलन प्रस्तुत करुंगा .
नमस्कार . मधुर चितलांग्या , प्रधान संपादक , पूरब टाइम्स