आज पत्रकार माधो ने मुझसे कहा, भगवान के घर देर है अंधेर नहीं और उन्होंने मुझे एक खबर सुनाई .पुलिस तथा सुरक्षा बल अपराधिक तत्वों के सामने किस कदर बेबस हो चुके हैं इसका उदाहरण उत्तर प्रदेश के औद्योगिक नगर कानपुर की एक पुलिस चौकी के एस.एच.ओ. ने पेश किया। अपने इलाके में अपराधिक गतिविधियां रोकने में नाकाम रहने पर उन्होंने सुरक्षा प्रणाली चाक-चौबंद करने की बजाय थाना परिसर में एक पुजारी बुलाकर 5 घंटे ‘धार्मिक अनुष्ठान’ करवाया ताकि अपराधी उनके इलाके से दूर रहें। एस.एच.ओ. के अलावा चौकी में तैनात आधा दर्जन पुलिस कर्मचारियों ने भी इसमें भाग लिया और न सिर्फ वहां शिकायतें दर्ज करवाने आए लोगों बल्कि बंद हवालातियों को भी प्रसाद बांटा गया। पूछे जाने पर पुजारी ने बताया कि पुलिस ने अपराधियों को इलाके से भगाने के लिए अनुष्ठान करने के उद्देश्य से मुझे बुलाया था और मुझे पक्का भरोसा है कि इसके प्रभाव से अपराधी चकेरी पुलिस थाने का इलाका छोड़ कर चले जाएंगे। उसने यह भी कहा कि प्रदेश के हर पुलिस थाने में ऐसे धार्मिक अनुष्ठान के लिए पुजारी नियुक्त किए जाने चाहिए जो अपराधियों को सुधर जाने या वह इलाका छोड़ कर कहीं और जाने के लिए प्रेरित करें। पत्रकार माधो ने आगे कहा कि यह बात साबित करती है कि पुलिस वाले भी अब अपराधों पर लगाम लगाने के लिए कितने गंभीर हैं .
मैंने कहा कि ऐसा करने से अपराधों पर कैसे लगाम लगेगा ? पत्रकार माधो ने कहा , जब सभी पुलिस वाले , सच्ची आस्था से अपराध रोकने, पूजा करेंगे ,तो ज़ाहिर है कि वे अपराधियों को संरक्षण देना और उनको संदेह का लाभ देना भी बंद कर देंगे . हो सकता है अनेक पुलिस वाले वसूली करना और घूस लेना भी बंद कर दें . इससे अपराधियों के हौसले पस्त हो जाएंगे और बिना कुछ अतिरिक्त किये ही अपराध कम हो जायेंगे .
मैंने थोड़ी तल्खी दिखाते हुए कहा कि फिर तो पुलिस वालों को केवल पूजा पाठ क्यों करना चाहिए ? उन्हें तो अंध विश्वास और टोना – टोटका भी करना चाहिए . पत्रकार माधो मेरे व्यंगात्मक लहजे को नज़र अंदाज़ करते हुए बोले , यह बात एकदम पते की कही है . हमारे छत्तीसगढ़ में चोरी होने और वस्तु गुम होने पर लोग जितना पुलिस थाने जाते हैं, उतना ही बाबाओं और तांत्रिकों के पास भी जाते हैं . यदि थाने पर ही तांत्रिक सेवा मिल जाए तो लोग दो जगह जाने से बचेंगे . इसके अलावा चोर-डकैतों में भी डर बैठेगा कि पुलिस का तांत्रिक कहीं उनपर तंत्र से हमला कर देगा तो दुर्भाग्य का उदय , लगातार तबियत खराब होना , खून की उल्टी होना इत्यादि परेशानी का सामना करना पड़ सकता है जोकि पुलिस कस्टडी से भी बहुत ज़्यादा भयानक होगी . मेरी असहमति को अपनी बात से दबाते हुए पत्रकार माधो आगे बोले , वैसे भी कई जगह अपराध नियंत्रण भगवान भरोसे है , ऐसे में अंध-भरोसे को ट्राई करने में क्या बुराई है ?
इंजी. मधुर चितलांग्या, संपादक
दैनिक पूरब टाइम्स