एक देश एक साथ चुनाव की सुगबुगाहट , केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की हुंकार कि कोई माई का लाल आरक्षण नहीं बंद कर सकता है और संसद के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का बार बार चिल्ला कर कहना कि हम आरक्षण पचास प्रतिशत से अधिक कर देंगे , सुनकर देश के अति गरीब लोंगो ने भी एक संघ बना लिया। अब वे लोग लोकसभा एवं विधानसभा के चुनावों में भी अति गरीब लोगों के लिए आरक्षण मांग रहे हैं।
अति गरीब संघ के एक नेता फकीरचंद ने कहा है कि भारतीय संविधान के अनुसार सभी जाति एवं सभी धर्म में किसी प्रकार का भेदभाव नही होना चाहिए। शुरुवात के 40 सालों में जाति के आधार पर आरक्षण दिया जाना उचित था। पर आगे जिन लोगों को आरक्षण का लाभ मिल चुका है या जो लोग आरक्षण का लाभ लेकर सरकारी नौकरियों में है उनके परिवारों को आरक्षण का लाभ नही मिलना चाहिए। मेरा तो ये कहना है कि जातिगत आरक्षण का लाभ लेकर भी जिन लोगों ने किसी प्रकार का चुनाव जीता है उन्हे या उनके परिवार के किसी सदस्य को आरक्षित श्रेणी के किसी भी प्रकार के चुनाव की पात्रता समाप्त कर दी जाय। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए संघ के प्रवक्ता दुकालू राम ने कहा कि हमारा मानना है कि राजनीतिक चुनाव में पात्रता किसी भी सांसद या विधायक चुनाव के प्रत्याशी के लिए बदल दी जानी चाहिए। चुनाव जीतकर राजनेता इतना भ्रष्टाचार व आर्थिक लाभ कर लेते हैं कि वे संपन्न पैसे वालों की श्रेणी में आ जाते हैं। संपन्न श्रेणी के लोगों की चुनाव लड़ने की पात्रता समाप्त कर देनी चाहिए. वे धन बल का उपयोग कर चुनाव प्रक्रिया के मूल रुप को बिगाड़ देते हैं . हमारे हिसाब से अति गरीब श्रेणी के लोगों को भी अति संपन्न बनने का अधिकार है इसकी पुष्टी के लिए केन्द्र सरकार को अतिगरीब जनसंख्या के अनुसार चुनाव में आरक्षण लागू कर देना चाहिए। कम पैसे वाले चुनाव में कम पैसे खर्च करेगें। उससे चुनाव प्रक्रिया नियमानुसार संपन्न होगी और चुनाव में भी राष्ट्रीय धन का भी नुकसान कम होगा। संघ के एक और कर्मठ कार्यकर्ता गरीबा ने कहा कि छ.ग. सरकार ने पहले से ही अति गरीब लोगों को चिन्हांकित कर दिये हैं, इसी तरह से देश के अन्य राज्यों में भी कर लेने चाहिए। कोई व्यक्ति सरकारी नौकरी या चुनाव में जीत जाता है तो अपने आप उसका परिवार अतिगरीब श्रेणी से हट जायेगा और सामान्य श्रेणी में चला जायेगा। इस प्रकार से धीरे धीरे देश की गरीबी दूर हो जायेगी और गैरकानूनी रुप से अति गरीब श्रेणी का लाभ उठाने वाले बहुत कम हो जायेंगे ।
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इस तर्क़ में दम है पर संपन्न राजनेता, अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार कर अपने कैरियर को कभी खत्म नहीं होने देंगे यानि अतिगरीब के लिये चुनाव में रिज़र्वेशन की मांग नहीं मानेंगे . इस मुद्दे पर आप लोगों की क्या राय बनती है ?
इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक
दैनिक पूरब टाइम्स