राष्ट्रीय सड़क कांग्रेस के अधिवेशन में देश के स्वयंभू वैज्ञानिक व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपना शोध दुनिया के सामने रखा है . अपना यह शोध लोगों को बताने से पहले गडकरी ने एक डिसक्लेमर दिया, कहा, यह बताने में कुछ अजीब सा लग रहा है लेकिन मैं आपको बताऊंगा. इसे गलत मत समझियेगा, मैंने प्रयोग किया है. इसके बाद उन्होंने पौधों की बेहतर परवरिश के लिए उन्हें पानी के बजाय पेशाब से सींचने की सलाह दी. केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘मैं हर दिन करीब 50 लीटर पेशाब इकट्ठा करता हूं. फिर इनका इस्तेमाल मेरे दिल्ली आवास में लगे पौधों को सींचने के लिए किया जाता है ‘. उनके अनुसार इस पेशाब में प्रचुर मात्रा में यूरिया और नाइट्रोजन यौगिक होते हैं इसलिए पेशाब थेरेपी से पौधों की ग्रोथ डेढ़ गुना हो गयी.
पत्रकार माधव यह बताते हुए अपने व्यंग्य मोड पर चले गए. उन्होंने कहा , गडकरी के इस शोध से पूरी दुनिया में हड़कम्प मच गया है . आलम यह हो गया है कि उनके समर्थकों ने गडकरीजी के लिए विज्ञान में नोबल पुरस्कार की मांग कर दी है. उत्साहित गडकरी ने खुद की सरकार से एक नयी मांग कर दी है . इसमें उन्होंने सड़क के किनारे केवल पेशाब करने के लिए पेड़ लगाने का प्रस्ताव रखा है. गडकरी के मुताबिक़ , ‘ यदि हर थोड़े दूर पर पेड़ लगाकर उनपर बोर्ड लगा दें कि ‘ यहां पेशाब करिये ‘ तो लोग उन पेड़ों पर भरपूर पेशाब करेंगे. इससे मूत्र जैसी महंगी चीज़ का राष्ट्रीय नुकसान रुक जाएगा. गरीब से गरीब व्यक्ति मूत्र-दान कर राष्ट्र की सेवा वाली भावना गर्व के साथ महसूस कर लेगा . मधुमेह वालों और आपात स्थिति में कहीं भी शुरू हो जाने वालों को भी अब शर्मिंदगी से निजात मिल जाएगी ‘ . केंद्रीय मंत्री ने आगे बताया कि इस स्कीम का शुभारम्भ स्थानीय मंत्री और नेता उन पौधों पर मूत्र-दान करके , कराएंगे. जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि आपकी स्कीम मूत्र से आगे भी जाएगी ? तो शरारती लहज़े में मंत्री गडकरी ने कहा कि हम विभिन्न फलदार पौधों के नीचे शौच करवाकर उनकी अतिरिक्त ग्रोथ की रीडिंग ले रहे हैं . जो पौधा सबसे जल्दी बढ़ेगा , उस फल के वृक्ष को रेलवे लाइन के दोनों तरफ लगाएंगे , ताकि लोग आसानी से उनपर निपट लें और कुछ समय बाद उन फलों को पाकिस्तान , चीन जैसे नापसंदगी के देशों में निर्यात किया जायेगा . सुना है , गडकरीजी , और भी अनेक शोध कर रहे हैं,जिनका खुलासा करने से उन्होंने अभी इंकार कर दिया है .
इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक
दैनिक पूरब टाइम्स