वित्त वर्ष 2025-26 के बजट को लेकर रियल एस्टेट सेक्टर के लिए महत्वपूर्ण उम्मीदें हैं। इस क्षेत्र के लीडर्स और विशेषज्ञों का मानना है कि यह बजट न केवल आर्थिक विकास में योगदान देगा, बल्कि हाउसिंग फॉर ऑल जैसे लक्ष्यों को भी मजबूत करेगा। यहां इस सेक्टर की प्रमुख अपेक्षाओं और वर्तमान रुझानों का सारांश प्रस्तुत है:
रियल एस्टेट सेक्टर की उम्मीदें:
उद्योग का दर्जा: लंबे समय से रियल एस्टेट सेक्टर उद्योग का दर्जा मिलने की मांग कर रहा है, जिससे इसे योजनागत लाभ और आर्थिक सहयोग प्राप्त हो सके।
होम लोन पर टैक्स छूट: होम लोन पर टैक्स छूट को ₹2 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख करने की मांग है, जिससे घर खरीदने वालों को राहत मिलेगी।
किफायती आवास की परिभाषा: बड़े शहरों में बढ़ती कीमतों को ध्यान में रखते हुए किफायती आवास की नई परिभाषा तय करने की आवश्यकता जताई गई है।
स्टाम्प ड्यूटी में कटौती: स्टाम्प ड्यूटी कम करने से प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त को प्रोत्साहन मिलेगा।
सेक्टर में मौजूदा रुझान:
- लग्जरी और प्रीमियम सेगमेंट में बढ़ती मांग:
- बेंगलुरु, गुरुग्राम, नोएडा और चेन्नई जैसे शहरों में ₹10 से ₹80 करोड़ तक की प्रीमियम प्रॉपर्टीज की बिक्री बढ़ रही है।
- दिल्ली-एनसीआर में 80% से ज्यादा प्रॉपर्टी ₹1 करोड़ से अधिक मूल्य की बिक रही हैं।
- रेजिडेंशियल मार्केट की मजबूती:
- सीबीआरई के अनुसार, आवासीय रियल एस्टेट में नई यूनिट्स की बिक्री और डिमांड में स्थिरता बनी रहेगी।
- लग्जरी और प्रीमियम प्रॉपर्टी सेगमेंट में तेजी बनी रहेगी।
बजट से अपेक्षित नीतिगत सुधार:
यह बजट रियल एस्टेट सेक्टर के विकास और किफायती आवास योजनाओं के विस्तार में बड़ा योगदान दे सकता है। स्टाम्प ड्यूटी कटौती और टैक्स छूट जैसे उपाय इस सेक्टर को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।
रियल एस्टेट की मांग और आपूर्ति का यह बढ़ता समीकरण भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ-साथ अधिक लोगों को घर का सपना पूरा करने में मददगार साबित हो सकता है।
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