रतन टाटा, टाटा ग्रुप के संस्थापक, अब नहीं रहे हैं। 86 वर्ष की उम्र में कल रात उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली
उस समय, जब फोर्ड जैसी विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनी से अपमान का पूरा बदला लिया था, उनकी वो दास्तां याद आती हैं। आपको पता ही होगा कि 2008 के जून महीने में फोर्ड ने टाटा मोटर्स ने दो लग्जरी कार ब्रांडों जगुआर और लैंड रोवर खरीद लिए थे।
कुछ साल पहले बिरला प्रिसिजन टेक्नोलॉजीज के चेयरमैन वेदांत बिड़ला ( Vedant Birla, Chairman of Birla Precision Technologies) ने ट्विटर पर एक दास्तां सुनाई थी। वह दास्तां थी फोर्ड से रतन टाटा के बदले की कहानी। उनके मुताबिक यह बात साल 1998 की है। तब टाटा मोटर्स (Tata Motors) ने भारत की पहली स्वदेशी कार टाटा इंडिका को लॉन्च किया था। टाटा इंडिका रतन टाटा का एक ड्रीम प्रोजेक्ट था। हालांकि, इस कार को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली। इसकी वजह कंपनी काफी घाटे में चली गई। कारों की कम बिक्री के कारण टाटा मोटर्स अपने कार कारोबार को एक साल के भीतर ही बेचना चाहती थी। इसके लिए टाटा ने 1999 में अमेरिका की बड़ी कार निर्माता कंपनी फोर्ड के साथ बात करने का फैसला किया।
रतन टाटा अपनी टीम के साथ बिल फोर्ड से इस सौदे को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका गए थे। उस समय फोर्ड का चेयरमैन बिल फोर्ड था। दोनों कंपनियों ने एक बैठक की। रतन टाटा को इस बैठक के दौरान बिल फोर्ड ने एक तरह से “अपमानित” किया था।बिल ने रतन टाटा से कहा था कि उन्हें कार व्यवसाय में कभी उतरना ही नहीं चाहिए था। कहा जाता है कि बिल फोर्ड ने यहां तक कह दिया था कि तुमने पैसेंजर कार डिवीजन क्यों शुरू किया? तुम इसके बारे में बिल्कुल कुछ नहीं जानते। अगर मैं ये सौदा करता हूँ तो मैं आप पर अहसान करूँगा। बाद में दोनों कंपनियों की बातचीत टूट गई। इसके बाद रतन टाटा ने इंडिका की प्रोडक्शन यूनिट को नहीं बेचने का फैसला किया।
इसके बाद जो हुआ, वह व्यापार जगत में सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है। 9 साल बाद टाटा के लिए हालात बदल गए थे। 2008 की फोर्ड की “मंदी” के बाद, फोर्ड दिवालिया होने के कगार पर थी। रतन टाटा ने इसके बाद फोर्ड पोर्टफोलियो के दो लोकप्रिय वाहनों, जगुआर और लैंड रोवर को खरीदने की पेशकश की। टाटा ने फोर्ड से जगुआर और लैंड रोवर को जून 2008 में 2.3 बिलियन डॉलर में खरीद लिया था। फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने कहा कि टाटा ने इन्हें खरीदकर हम पर बहुत उपकार किया है। टाटा ने बाद में जेएलआर व्यवसाय को लाभ में बदल दिया।
इसके बाद फोर्ड ने 2022 में भारत छोड़ने का निर्णय लिया। उस समय भारत में फोर्ड की दो कर बनाने की फैक्ट्री थीं। एक फैक्ट्री चेन्नई में है, जबकि दूसरी गुजरात के साणंद में है। उस समय भी टाटा मोटर्स ही फोर्ड के साणंद प्लांट को खरीदने के लिए आगे आए थे। जनवरी 2023 में, टाटा मोटर्स ने अपनी एक सब्सिडियरी कंपनी के माध्यम से फोर्ड इंडिया के साणंद संयंत्र को अधिग्रहण कर लिया। टाटा मोटर्स ने 2022 के अगस्त में घोषणा की कि वह अपनी इकाई टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लि. (टीपीईएमएल) को गुजरात के साणंद संयंत्र में 725.7 करोड़ रुपये में खरीदेगा।