नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार (27 फरवरी) को हुई कैबिनेट बैठक में वक्फ (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी गई। 10 मार्च से शुरू होने वाले संसद सत्र में इस बिल को पेश किए जाने की संभावना है।
इस संशोधन विधेयक में केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्डों के संचालन से जुड़े 44 बदलाव प्रस्तावित किए गए हैं, जो मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों के प्रबंधन को नया रूप देंगे।
जेपीसी की रिपोर्ट के आधार पर हुआ संशोधन
सूत्रों के मुताबिक, मोदी कैबिनेट ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिशों में से 23 में से 14 संशोधनों को मंजूरी दी है। समिति ने 13 फरवरी को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके बाद नए वक्फ बिल का मसौदा तैयार किया गया।
विपक्ष का आरोप— ‘पक्षपातपूर्ण बदलाव’
इस बिल को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि जेपीसी रिपोर्ट में उनके असहमति नोट के कुछ हिस्सों को हटा दिया गया। हालांकि, केंद्र ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान हटाने का विवाद
बिल में ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान हटाने के प्रस्ताव पर विपक्ष ने कड़ा ऐतराज जताया है। विपक्षी सांसदों का कहना है कि इससे वक्फ बोर्ड की शक्तियां कम होंगी। हालांकि, जेपीसी में शामिल 15 सदस्यों ने बहुमत से रिपोर्ट को मंजूरी दे दी, जबकि 14 ने असहमति जताई।
अगला कदम— संसद में पेश होगा विधेयक
बिल को पहली बार अगस्त 2024 में संसद में पेश किया गया था, लेकिन भारी विरोध के बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया। अब कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद सरकार इसे संसद में लाने की तैयारी में है।
अब देखना होगा कि क्या संसद में यह बिल बिना बाधा पारित हो पाता है या इसे लेकर विपक्ष फिर नया मोर्चा खोलता है।