केरल की एक अदालत ने सितंबर 2020 में कोविड-19 संक्रमित एक 19 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार के आरोप में एक एम्बुलेंस चालक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. न्यायाधीश ने भारतीय दंड संहिता और एससी/एसटी अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने पर नौफल वी को यह सजा सुनाई. पीड़िता को एम्बुलेंस में ले जाते समय चालक ने दुष्कर्म किया था और बाद में माफी मांगी थी. पीड़िता ने घटना का वीडियो रिकॉर्ड किया था जो अदालत में महत्वपूर्ण सबूत बना. अदालत ने आरोपी पर जुर्माना भी लगाया है.
केरल की एक अदालत ने शुक्रवार को एक एम्बुलेंस चालक को सितंबर 2020 में एक 19 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार करने के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. जिला और सत्र न्यायाधीश एन हरिकुमार ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (एससी/एसटी अधिनियम) के कई प्रावधानों के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद नौफल वी के खिलाफ सजा सुनाई.
रिपोर्ट के अनुसार, अपराध सितंबर 2020 में हुआ था, जब पीड़िता, जो उस समय कोविड-19 से संक्रमित थी, को अदूर से एक निर्दिष्ट देखभाल सुविधा में ले जाया जा रहा था.
नौफल, जो एक सरकारी एम्बुलेंस चला रहा था. वाहन को एक सुदूर क्षेत्र में ले गया, जहां उसने रोगी का यौन उत्पीड़न किया. घटना के बाद, आरोपी ने पीड़िता को केंद्र पर छोड़ने से पहले उससे माफी मांगी.
रेप के बाद ड्राइवर ने मांगी थी माफी
पीड़िता ने अपना माफीनामा वीडियो पर रिकॉर्ड किया, जो बाद में एक महत्वपूर्ण सबूत बन गया. सुविधा केंद्र पर पहुंचने पर पीड़िता ने स्वास्थ्य कर्मियों को घटना के बारे में बताया, जिसके बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की.
उसके बयान और वीडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर, नौफाल को गिरफ्तार किया गया और उस पर आईपीसी और एससी/एसटी अधिनियम के तहत गंभीर आरोप लगाए गए.
बाद में उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार के लिए सजा), 354 (महिला की शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 354बी (नंगा करने के इरादे से हमला) और 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत दोषी पाया गया.
आरोपी एंबुलेंस ड्राइवर को आजीवन कारावास की सजा
अदालत ने उसे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 3(1)(डब्ल्यू)(आई) और धारा 3(2)(वी) के तहत भी दोषी पाया, जो एससी/एसटी महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों से संबंधित है और जब ऐसे अपराध अनुसूचित जाति या जनजाति से संबंधित नहीं किसी व्यक्ति द्वारा किए जाते हैं तो बढ़ी हुई सजा का प्रावधान है. पठानमथिट्टा की सत्र अदालत ने नौफाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने उसे कुल 1,08,000 रुपए का जुर्माना भरने का भी निर्देश दिया, जो कि पीड़ित को मुआवजे के रूप में दिया जाना है.