Total Users- 1,135,913

spot_img

Total Users- 1,135,913

Friday, December 5, 2025
spot_img

संस्मरण : होते हैं प्रकृति के खेल निराले ! अपने ढंग से लोगों को सबक-सज़ा-पुरस्कार देती है


कल रात भर आंधी तूफ़ान के साथ भारी बारिश हुई . हवाओं की सांए-सांए पूरी रात संगीत की तरह चलती रही . वृक्षों की इस तरह की लगातार सरसराहट  वर्षों बाद देखकर मेरा मन प्रफुल्लित हो गया . लेकिन मैं जानता हूं कुछ लोगों का नुकसान भी हुआ होगा , उन्हें मेरी तरफ से सचमुच  की संवेदना. मां-प्रकृति की लीला अपरम्पार है , मैं उनसे बेहद प्रेम करता हूँ. वह अपने ढंग से लोगों को सबक-सज़ा-पुरस्कार देतीं हैं
       लगभग 25-26 साल पहले की एक घटना मुझे याद आ गई . मैं , मधुर कंस्ट्रक्शन कंपनी नाम से राजनांदगांव , दुर्ग में इंजीनियर-कॉन्ट्रेक्टर का काम करता था , साथ ही वाटर प्रूफिंग का कार्य करता था. कालंतर मैं सरकारी ठेकेदारी करने लग गया . मई माह की एक शाम मैं अपनी मोटर सायकल से शाम लगभग साढ़े तीन – चार बजे दुर्ग से राजनांदगांव अच्छे कपड़ों के साथ तैयार होकर एक बड़ा टेंडर देने के लिए आ रहा था . मुझे पता था कि यह टेंडर मुझे ही मिलना तय है . अन्य ठेकेदारों व विभागीय अधिकारियों से हुई बात से मुझे यह अहसास हो गया था . दुर्ग राजनांदगांव की दूरी मात्र 27 कि.मी. है . रास्ते के बीचों बीच सोमनी अंजोरा के बीच अचानक तेज़ आंधी चलने लगी , फिर उसकी रफ़्तार बढ़ते गई . मुझे लगा कि मैं बाइक समेत उड़ जाऊँगा . मैं एक झाड़ की तरफ बढ़ा तो देखा कि वह गिर सकता है , आगे दूसरे झाड़ की तरफ बढ़ा तो देखता हूँ कि वह बिजली के तार से टकरा रहा है और उससे चिंगारी निकल रही है . देखते ही देखते  अन्धेरा बढ़ने लगा . घबराकर , मैंने  सड़क से नीचे उतारकर अपनी बाइक को जमीन पर सुला दिया और जाकर एक मेढ़ के पीछे जाकर लेट  गया . कुछ देर में घुप अन्धेरा हो गया . ऐसा लगने लगा अंधड़ के साथ
कोई आफत आ रही है . फिर धीरे – धीरे अँधेरा छंट गया और तूफ़ान भी बंद हो गया . मैं धीरे- धीरे किसी प्रकार नांदगांव पहुंचा पर देर होने के कारण टेंडर नहीं जमा कर पाया . बेहद दुखी मन से मैंने यह बात अपने एक हित-चिंतक को बताई तो उन्होंने मुझसे एग्रीमेंट कर अपनी एक बेहतरीन ज़मीन पर बिल्डर लाइन में आने का प्रस्ताव रखा . जिसमे मैं बेहद अधिक सफल रहा . आर्थिक रूप से भी मेरी
अप्रत्याशित तरक़्क़ी हुई .

10 साल में एक बेहतर स्थिति में पहुंचने के बाद , स्वेच्छा से पढ़ने लिखने में अपार रुचि के कारण ,
मैं अपननी मनपसंद मीडिया लाइन में आ पाया . आज सोचता हूँ तो लगता है कि एक प्राकृतिक घटना ने, मानो,  जैसे मेरी ज़िंदगी बदल दी . मां प्रकृति के खेल अपरम्पार हैं , वह छिपे रूप में भी वरदान देती है
. यह भेद हम बरसों बाद समझ पाते हैं .  बिना प्रतिफल की चाह में मां प्रकृति हमें कितनी ही चीज़ें मुफ्त में देती है . आप सभी से अनुरोध कि आप सभी मां प्रकृति के लिये ज़रूर कुछ ना कुछ करने का संकल्प लें जैसे– वृक्षारोपण , रेनवाटर हार्वेस्टिंग , प्रदूषण नियंत्रण में मदद इत्यादि. भरोसा रखिये पूरी कायनात आपको अप्रत्याशित रूप से मदद करने  तैयार रहेगी . 

इंजी. मधुर चितलांग्या , संपादक
दैनिक पूरब टाइम्स

More Topics

अब केवल महिलाएं ज़्यादा नहीं बल्कि सभी बराबर अनसेफ हैं.

इस बीते साल में अनेक पत्नियों ने अपने पतियों...

छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल गिरफ्तार,26 दिनों से फरार थे

रायपुर. छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल...

कांग्रेस के नवनियुक्त जिलाध्यक्षों की बैठक,कई वरिष्ठ नेता होंगे शामिल

रायपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नवनियुक्त 41 जिलाध्यक्षों की महत्वपूर्ण...

बस्तर में शांति और विकास की नई इबारत

नक्सल प्रभावित इलाकों में वानिकी कार्य बना रोजगार का...

संसद का शीतकालीन सत्र, दिन 4: दिल्ली प्रदूषण के खिलाफ विपक्ष आज करेगा प्रदर्शन

नई दिल्ली, 4 दिसंबर 2025।राष्ट्रीय राजधानी में लगातार बिगड़...

इसे भी पढ़े