कॉप29 सम्मेलन में एक बड़ा मुद्दा है, जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले नुक़सान की भरपाई के लिए विकासशील देशों को सैकड़ों अरब डॉलर की मांग.
विकासशील देशों को पुनर्निर्माण व अनुकूलन प्रयासों के लिए इस धनराशि की आवश्यकता है, और सम्पन्न देशों की सरकारों, बहुपक्षीय बैन्कों और निजी सैक्टर से इसकी व्यवस्था किए जाने का आग्रह किया जा रहा है. इस पृष्ठभूमि में, उच्चस्तरीय कार्यक्रम के दौरान चर्चाओं में शहरीकरण, परिवहन और पर्यटन जैसे अहम मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है.
अगले 20 वर्षों में शहरी इलाक़ों की आबादी में बड़ी वृद्धि होने की संभावना है और दो अरब से अधिक लोग वहाँ बस सकते हैं. बढ़ती आबादी के कारण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में शहरों का योगदान बढ़ रहा है और वे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से भी जूझ रहे हैं.
टिकाऊ शहरी विकास के लिए प्रयासरत सयुंक्त राष्ट्र पर्यावास एजेंसी (UN-Habitat) ने अपनी नई रिपोर्ट में बताया था कि वर्ष 2040 तक, शहरों में बसे अरबों लोगों को तापमान में 0.5 की अतिरिक्त वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है.
शहरी इलाक़ों के समक्ष विशाल चुनौतियाँ हैं, मगर उनके लिए समाधान के लिए जिस स्तर पर उपायों की दरकार है वे फ़िलहाल उपलब्ध नहीं हैं.
यूएन एजेंसी की कार्यकारी निदेशक ऐनाक्लॉडिया रॉसबाख ने बुधवार को एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि तेज़ी से, बिना किसी योजना के हो रहे शहरी विकास से जैविक विविधता, पर्यावरण और खाद्य सुरक्षा के लिए ख़तरा है.
इससे समाज में विघटना होता है और वित्तीय बदहाली भी उपजती है. निर्माण सैक्टर, क़रीब 40 फ़ीसदी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार है, मगर टिकाऊ विकास लक्ष्यों को 2030 तक हासिल करने के लिए हर दिन 96 घर बनाए जाने की आवश्यकता है.
इन दोहरी चुनौतियों से निपटने के लिए यह ज़रूरी है कि सभी स्तरों पर सहयोग के साथ, वित्तीय संसाधनों को भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया जाए.
बढ़ते ग्रीनहाउस उत्सर्जन
एक अन्य सत्र में, वक्ताओं ने एक ऐसी समस्या पर चर्चा की, जोकि शहरों व अन्य स्थानों पर जलवायु प्रभावों से निपटने के प्रयासों में अवरोध पैदा कर सकती है.
यूएन पर्यावरण कार्यक्रम की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 1.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि उनमें गिरावट होनी चाहिए थी.
यूएन एजेंसी की कार्यकारी निदेशक इंगेर ऐंडरसन ने कहा कि वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए हर देश को यह संकल्प लेना होगा कि 2030 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 42 फ़ीसदी और 2035 तक 57 फ़ीसदी की कटौती की जाएगी.
उन्होंने बताया कि कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों के 52 फ़ीसदी के लिए शंघाई, बीजिंग, मॉस्को, न्यूयॉर्क सिटी समेत केवल 25 बड़े शहर ज़िम्मेदार हैं.
इसलिए ऊर्जा दक्षता के लिए मानक स्थापित करके, ऊर्जा स्रोत में बदलाव लाकर, अपशिष्ट व मीथेन के बेहतर प्रबन्धन और सार्वजनिक परिवहन में बेहतरी समेत अन्य उपायों के ज़रिये बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं.
कॉप29 सम्मेलन के दौरान पहली बार, बुधवार को पर्यटन उद्योग से जलवायु परिवर्तन पर होने वाले असर पर चर्चा हुई और उसके कार्बन पदचिन्हों में कमी लाने की अपील की गई.
कॉप29, क्या प्रगति संभव है?
बाकू में जलवायु वार्ता की एक अहम चुनौती नए, वित्त पोषण लक्ष्य पर सहमति बनाने की है. अरबों डॉलर की धनराशि की मांग दाँव पर लगी है, जोकि सम्वेदनशील हालात का सामना कर रहे विकासशील देशों को जलवायु कार्रवाई में सहायता के लिए अहम है.
लघु द्वीपीय देशों के गठबंधन के प्रमुख सेड्रिक शुस्टर ने बताया कि उनकी शीर्ष प्राथमिकता है कि उनके लिए प्रति वर्ष 39 अरब डॉलर की व्यवस्था हो, सबसे कम विकसित देशों को 220 अरब डॉलर मुहैया कराए जाएं और इस धनराशि को अनुदान के रूप में मुहैया कराया जाए.
“ऐसा कोई भी मसौदा, जिनमें इन पहलुओं को शामिल नहीं किया जाएगा वो इन समूहों को स्वीकार्य नहीं होगा.”
सिएरा लियोन के पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्री, जिवोह अब्दुलइ ने कहा कि जलवायु वित्त पोषण के लिए ‘दानदाता’ शब्द का इस्तेमाल करने से बचना होगा.
“इसके मायने ख़ैरात जैसे हैं. एक जलवायु कर्ज़ है जिसे चुकाया जाना है. हम ज़िन्दगियों व आजीविकाओं की बात कर रहे हैं. हमारे लोग अपने जीवन से क़ीमत चुका रहे हैं.”