भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने फ्रांस दौरे के दौरान एलीसी पैलेस पहुंचे, जहां उन्हें फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया। यह सम्मान पाने वाले मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गए हैं, जो भारत और फ्रांस के बीच मजबूत होते संबंधों का प्रतीक है।
क्या है एलीसी पैलेस की खासियत?
300 साल पुराना यह महल फ्रांस की राजनीति और इतिहास का अहम हिस्सा रहा है। 1722 में निर्मित इस महल का नाम प्राचीन ग्रीक पौराणिक कथाओं के स्वर्ग ‘एलीसी फील्ड्स’ से लिया गया है। 365 कमरों वाले इस महल में फ्रांस के राष्ट्रपति का आधिकारिक निवास और कार्यालय है।
फ्रांस के शासकों का ऐतिहासिक घर
यह महल मूल रूप से किसी राष्ट्रपति के लिए नहीं, बल्कि फ्रांसीसी रईस लुईस हेनरी के लिए बनाया गया था। नेपोलियन बोनापार्ट ने इसे खरीदकर इसे एलीसी-नेपोलियन नाम दिया और यहीं से शासन चलाया। 1848 में इसे फ्रांस की सरकार ने आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति भवन घोषित कर दिया।
आगे पढ़ेदूसरे विश्व युद्ध से अब तक का सफर
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1940 में इसे बंद कर दिया गया था, लेकिन 1946 में इसे फिर से फ्रांस सरकार ने अपने नियंत्रण में लिया। 1970 के दशक में इसकी साज-सज्जा को आधुनिक बनाया गया, लेकिन इसकी ऐतिहासिक पहचान बरकरार रही।
महल की अनूठी संरचना और रहस्य
- तीन मंजिला इस महल में प्रथम महिला के लिए विशेष कक्ष भी है।
- पहली मंजिल पर राष्ट्रपति का निजी निवास, दूसरी पर आधिकारिक कार्यालय और तीसरी पर मेहमानों के लिए कमरे हैं।
- महल के अंदर 5 एकड़ का शानदार बगीचा है, जिसे मेंटेन रखने के लिए 800 कर्मचारी काम करते हैं।
- 1917 में एक चिड़ियाघर से भागा चिम्पांजी यहां घुस आया था और राष्ट्रपति की पत्नी को पेड़ पर खींचने की कोशिश की थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यहां सम्मानित किया जाना भारत-फ्रांस के रिश्तों में नई मजबूती का प्रतीक है। ऐतिहासिक एलीसी पैलेस में दिया गया यह सम्मान दोनों देशों के गहरे होते रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाता है।
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