नई दिल्ली: एक हालिया अध्ययन में, द लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर स्ट्रोक और उससे संबंधित मौतों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हो रही है। यह वृद्धि मुख्य रूप से वायु प्रदूषण, उच्च तापमान, उच्च रक्तचाप और शारीरिक निष्क्रियता जैसे चयापचय जोखिम कारकों के कारण हो रही है।
शोधकर्ताओं ने यह पाया है कि 1990 के बाद से, उच्च तापमान के कारण स्ट्रोक से खराब स्वास्थ्य और समय से पूर्व मृत्यु का जोखिम 72 प्रतिशत बढ़ गया है। यह एक स्पष्ट संकेत है कि पर्यावरणीय कारक स्ट्रोक की बढ़ती घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
इसके अलावा, ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज, इंजरी एंड रिस्क फैक्टर्स स्टडी (जीबीडी) के शोधकर्ताओं ने पहली बार यह स्थापित किया है कि पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) के कारण होने वाला वायु प्रदूषण मस्तिष्क में घातक रक्तस्राव का कारण बनने में धूम्रपान के समान योगदान देता है।
यह अध्ययन स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि पर्यावरणीय स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, स्ट्रोक के मामलों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।