हार्ट से जुड़ी समस्याएं अक्सर धीरे-धीरे बढ़ती हैं और शुरुआती लक्षण बहुत हल्के होते हैं, जिससे उन्हें समय पर पहचानना मुश्किल हो जाता है. नई तकनीकें इस चुनौती को बदल रही हैं. एआई-सक्षम स्टेथोस्कोप कुछ ही सेकंड में हार्ट की संभावित समस्याओं का संकेत दे सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि यह कौन-कौन सी हार्ट डिजीज का पता लगाता है और यह कैसे काम करता है.
आज के दौर में हार्ट से जुड़ी बीमारियां दुनियाभर में तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या बन गई हैं. इसकी सबसे बड़ी वजहें हैं बढ़ती उम्र, अस्वस्थ लाइफस्टाइल, धूम्रपान, अधिक तैलीय भोजन, तनाव, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज. इन कारणों से हार्ट पर दबाव बढ़ता है और धीरे-धीरे हार्ट कमजोर होने लगता है. समस्या यह है कि शुरूआती लक्षण बहुत हल्के होते हैं जैसे बार-बार थकान महसूस होना, सीढ़ियां चढ़ते समय सांस फूलना, सीने में हल्का दर्द या धड़कन का इम्बैलेंस होना. लोग अक्सर इन्हें सामान्य थकान या कमजोरी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. यही आगे चलकर बड़ी परेशानी का कारण बनता है. समय पर पहचान न हो पाने से स्थिति गंभीर हो सकती है और हार्ट अटैक, स्ट्रोक या हार्ट फेलियर जैसी समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में नई तकनीकें उम्मीद की किरण हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित स्टेथोस्कोप इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण खोज है. यह उपकरण पारंपरिक जांचों में लगने वाले समय को कम करके केवल कुछ ही सेकंड में हार्ट की बीमारियों की पहचान कर सकता है.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित स्टेथोस्कोप हार्ट से जुड़ी तीन प्रमुख बीमारियों का पता लगा सकता है. पहली है, हार्ट फेलियर, जिसमें हार्ट पर्याप्त ताकत से खून पंप नहीं कर पाता. इसके कारण शरीर के अंगों तक खून और ऑक्सीजन कम मात्रा में पहुंचता है. इसका असर थकान, चक्कर, सांस लेने में कठिनाई और पैरों या चेहरे पर सूजन जैसी समस्याओं के रूप में दिखाई देता है. दूसरी, एट्रियल फिब्रिलेशन, जिसमें असमान्य धड़कनें खून के थक्के बनने का खतरा बढ़ाती हैं और इससे स्ट्रोक होने की संभावना भी बढ़ जाती है. तीसरी है, हार्ट वाल्व डिजीज, जिसमें ब्लड फ्लो सही दिशा में नहीं होता. इसके कारण अंगों को पर्याप्त पोषण नहीं मिलता और शरीर धीरे-धीरे कमजोर पड़ता है. इन सभी समस्याओं का असर दिमाग, किडनी और लिवर जैसे जरूरी अंगों पर भी पड़ता है और मरीज की जीवन-गुणवत्ता तेजी से गिरती है. समय रहते उपचार न होने पर यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है.
एआई स्टेथोस्कोप से कुछ सेकंड में हार्ट डिजीज की पहचान
TRICORDER रिसर्च के अनुसार, इम्पीरियल कॉलेज लंदन और इम्पीरियल कॉलेज हेल्थकेयर NHS ट्रस्ट द्वारा विकसित एआई-सक्षम स्टेथोस्कोप सिर्फ 15 सेकंड में तीन गंभीर हृदय स्थितियों, हार्ट फेलियर, एट्रियल फिब्रिलेशन और हृदय वॉल्व डिजीज का पता लगाने में सक्षम है. यह डिवाइज पारंपरिक स्टेथोस्कोप से कहीं अधिक सेंसिटिव है, क्योंकि यह धड़कन और ब्लड फ्लो में छोटे बदलावों को भी पकड़ लेता है, जिन्हें मानव कान नहीं सुन सकता.
इसके साथ यह एक सिंगल-लीड ईसीजी रिकॉर्डिंग भी करता है. ध्वनि और ईसीजी दोनों डेटा को क्लाउड पर भेजा जाता है, जहां एआई एल्गोरिदम, जो हजारों डेटा पॉइंट्स पर तैयार किए गए हैं, उनका एनालिसिस करते हैं और रिजल्ट तुरंत स्मार्टफोन पर उपलब्ध कराते हैं. इस तकनीक से खतरनाक हार्ट डिजीज की पहचान बेहद तेजी से हो पाती है, जिससे समय रहते इलाज शुरू किया जा सकता है और कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं.
AI स्टेथोस्कोप के फायदे
AI स्टेथोस्कोप सिर्फ 15 सेकंड में संभावित हार्ट समस्याओं का पता लगा सकता है.
यह हार्ट फेलियर, एट्रियल फिब्रिलेशन और वॉल्व डिजीज की पहचान तेज और सटीक करता है.
यह डिवाइस किसी भी साधारण क्लिनिक या डॉक्टर के पास आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है.
इसके रिजल्ट सीधे स्मार्टफोन ऐप पर भेजे जाते हैं, जिससे तुरंत निर्णय संभव होता है.
यह पारंपरिक डिवाइज की तुलना में सस्ता, तेज और सुविधाजनक है.


