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Friday, December 5, 2025
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एलर्जिक राइनिटिस बीमारी क्या होती है, इसका आपकी छींक से क्या है संबंध

आपने देखा होगा कि कई व्यक्ति हमेशा छींकने की समस्या से परेशान रहते हैं वो भी बिना सर्दी-खांसी के मौमस के. इस लक्षण को जुकाम समझना गलती होगी क्योंकि ये सिर्फ वायरल या एलर्जी नहीं बल्कि किसी लंबी बीमारी का संकेत होता है. जानें क्या है ये बीमारी और इसका इलाज.

क्या आपको बार-बार छींक आती है और आप इसे सिर्फ जुकाम समझकर नजरअंदाज कर देते हैं? सावधान! हो सकता है यह एलर्जी का संकेत हो. बार-बार छींकना, नाक बहना या आंखों में जलन ये सभी एलर्जिक राइनिटिस के लक्षण हो सकते हैं. समय रहते पहचान जरूरी है ताकि बड़ी दिक्कत न बन जाए. आइए जानें- इस बार-बार होने वाली छींक के पीछे की असली वजह क्या है और इसका सही इलाज क्या है.

दिल्ली में ईएनटी के डॉ मनीष आर्या बताते हैं कि बार-बार छींक आना एलर्जिक राइनिटिस का लक्षण हो सकता है, जो कि शरीर के इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी का संकेत हो सकता है. समय पर एलर्जी की पहचान और इम्यूनोथेरेपी की मदद से न सिर्फ लक्षणों से राहत मिल सकती है, बल्कि भविष्य में होने वाली बड़ी परेशानियों से भी बचा जा सकता है. छींक को सिर्फ जुकाम का लक्षण मानकर छोड़ना सही नहीं है.

कब होती है एलर्जिक राइनिटिस- एलर्जिक राइनिटिस तब होता है जब हमारा इम्यून सिस्टम कुछ बेसिक तत्वों को हानिकारक समझ लेता है जैसे कि धूल, धुआं, फफूंद, जानवरों के बाल या पराग कण. जैसे ही व्यक्ति इन एलर्जन के संपर्क में आता है, शरीर तुरंत प्रतिक्रिया देने लगता है. इसका नतीजा होता है बार-बार छींक आना, नाक बहना या बंद होना, आंखों में खुजली और पानी आना, गले में खराश, थकान और नींद न आना.

सर्दी-जुकाम से कैसे अलग है एलर्जिक राइनिटिस

डॉक्टर मनीष आर्या ने बताया कि इसके लक्षण सुनने में आम सर्दी-जुकाम जैसे लगतें हैं लेकिन असली फर्क ये है कि एलर्जी के लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं और बार-बार लौट सकते हैं. जुकाम वायरस की वजह से होता है और कुछ दिनों में ठीक हो जाता है, जबकि एलर्जिक राइनिटिस लंबे समय तक बना रह सकता है. कई बार तो लोगों को यह तक पता नहीं होता कि उन्हें किस चीज से एलर्जी है. ऐसे मामलों में स्किन प्रिक टेस्ट (एसपीटी) कराना चाहिए.

क्या है स्किन प्रिक टेस्ट (एसपीटी)

एसपीटी एक सरल और असरदार जांच होती है जिसमें संभावित एलर्जन की थोड़ी मात्रा व्यक्ति की त्वचा में डाली जाती है. अगर व्यक्ति को उस चीज से एलर्जी होती है तो 15 से 20 मिनट में उस जगह पर मच्छर के काटने जैसा निशान बन जाता है. इससे यह समझ पाना आसान हो जाता है कि एलर्जी की वजह क्या है.एलर्जी से बचने के लिए नेजल स्प्रे और दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन ये सिर्फ लक्षणों को कम करते हैं. एलर्जी को पूरी तरह खत्म नहीं करते. एलर्जी अगल लंबे समय से है तो इसको जड़ से कम करने के लिए सबसे असरदार तरीका है इम्यूनोथेरेपी कराएं.

एलर्जी खत्म करने के लिए कब कराएं इम्यूनोथेरेपी

इम्यूनोथेरेपी एक तरह का इलाज है जिसमें शरीर को धीरे-धीरे उस एलर्जन के संपर्क में लाया जाता है जिससे व्यक्ति को एलर्जी है. इससे शरीर उस एलर्जन के प्रति सहनशील बन जाता है और एलर्जी की तीव्रता कम हो जाती है. यह थेरेपी शॉट्स या अंडर-द-टंग ड्रॉप्स/टैबलेट के रूप में दी जाती है. इसमें स्टेरॉयड या एंटीहिस्टामाइन नहीं होते, जिससे इसके साइड इफेक्ट भी बहुत कम होते हैं.

डॉ. आर्या के अनुसार- समय पर जांच और सही इलाज बेहद जरूरी है क्योंकि इलाज न मिलने पर एलर्जी गंभीर रूप ले सकती है. कई बार यह अस्थमा, बार-बार साइनस की शिकायत, नींद की दिक्कत या बच्चों में कान की समस्या का कारण बन जाती है. इसलिए अगर किसी को बार-बार छींक आती है, नाक बहती है या आंखों में जलन होती है तो इसे नजरअंदाज न करें.

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